पेसिफिक विष्वविद्याालय में अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन
पेसिफिक विष्वविद्यालय एवं इंडियन केमिकल सोसाइटी के संयुक्त तत्वाधान में पेसिफिक विष्वविद्यालय प्रांगण में दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ हुआ। यह संगोष्ठी वर्तमान समय में विभिन्न वैष्विक समस्याओं जैसे प्रदूषण, ऊर्जा चुनौती इत्यादि समस्याआंे के निवारण में रसायन विज्ञान की भूमिका पर आधारित है।
कार्यक्रम के उद्द्याटन समारोह का शुभारंभ माँ सरस्वती के समक्ष द्वीप प्रज्जवलन से हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पेसिफिक विष्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी. पी. षर्मा ने बताया कि वर्तमान परिदृष्य में विज्ञान के विभ्न्नि क्षेत्र एक-दूसरे के संपूरक है। उन्होनें भारतीय प्राचीन विज्ञान में रसायन के उपयोग का उदाहरण देते हुए बताया कि, किस प्रकार हजारों वर्ष पूर्व हमारे ऋषि-मुनि अपने दिव्य ज्ञान के द्वारा ऐसे विभिन्न प्रयोगों को संपादित कर चुके है, जिन पर आज भी पूरे विष्व में शोध चल रहा है। ऐसे बहुत से रसायन के सिद्धांत एवं प्रयोगों का हमारे वेदों व उपनिषदों मे उद्धरण है। साथ ही उन्होने सीमित ऊर्जा स्त्रोतो के शीघ्र समाप्त होने पर चिंता जताते हुए कृत्रिम प्रकाष संष्लेषण पर हो रहे शोध कार्यों पर प्रकाष डाला और पेट्रोलियम उत्पादों के निकट भविष्य में समाप्त होने की स्थिति में किस प्रकार वाहन संचालन में हाइड्रोपावर एवं सौर पेनल इत्यादि वैकल्पिकक संसाधन होगें। इस पर भी अपने विचार व्यक्त किए। इसी श्रृंखला में मंचासीन अतिथियों द्वारा संगोष्ठी स्मारिका का विमोचन किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता के रूप में कोटा विष्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. एम. एल. कालरा ने वर्तमान परिदृष्य में ऊर्जा संचरण इत्यादि में पदार्थों की अतिचालकता गुणधर्म पर प्रकाष डाला। उन्होने बताया कि किस प्रकार रसायन विज्ञान, भौतिक विज्ञान की संपूरक है। क्योंकि बिना रसायन विज्ञान के विभिन्न पदार्थो के भौतिक गुणधर्मों का अध्ययन भी संभव नही है। उन्होने बताया कि जहां आज सौर ऊर्जा को एक वैकल्पिक ऊर्जा स्त्रोत के रूप् में अपनाया जा रहा है वहां भौतिकी द्वारा बनाए गए विभिन्न परिपथ संपूर्ण दक्षता के साथ कार्य नहीं कर पायेगें यदि रसायन विज्ञान द्वारा पदार्थों के गुणधर्म में संषोधन कर उनकी दक्षता को न बढ़ाया जाए।
कार्यक्रम के विषिष्ट अतिथी के रूप में इंडियन केमिकल सोसाइटी के वर्तमान अध्यक्ष प्रो. डी. सी. मुखर्जी ने यह बताते हुए प्रसन्नता व्यक्त की कि आइ. सी. एस. के संयुक्त तत्वाधान में पेसिफिक विष्वविद्यालय का यह दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन सराहनीय कदम है जो हमारे देष के विख्यात वैज्ञानिको के साथ हमारे शोधाथियों को विचार साझा करने का मंच प्रदान करता है। साथ ही उन्होने बताया कि रसायन शास्त्र एक बहुमुखी क्षेत्र है, जिसमें कई नए आविष्कारों पर शोध की संभावना है।
विज्ञान संकाय के अधिष्ठाता एवं संगोष्ठी के अध्यक्ष प्रो. सुरेष सी. आमेटा ने इस अवसर पर अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होने बताया कि ऊर्जा के स्त्रोत जैसे कोयला,पेट्रोल आदि अब समाप्ति के युग की ओर है। इसलिये आवष्यक है कि रसायनिक ऊर्जा का कोई नया स्त्रोत शीघ्रातिषीघ्र खोजें ताकि ऊर्जा संकट का हल खोजा जा सके। इसके लिये हाइड्रोजन को भावी ऊर्जा स्त्रोत के रूप में उपयोग की अच्छी संभावना है।
उन्होने बताया कि विष्व भर से इस संगोष्ठी में शोधार्थी अपने शोध पत्र नैनो केमेस्ट्री, सौर ऊर्जा रूपान्तरण, अवषिष्ट जल प्रंबधन, नवीन औषधियो ंकी खोज इत्यादि पर प्रस्तुत करेगें। उन्होने पेसिफिक विष्वविद्यालय के विज्ञान संकाय की उपलब्धियों को भी बताया कि किस प्रकार यहां के शोधार्थियों ने अपने शोध पत्रों, द्वारा भारत भर की विभिन्न संगोष्ठियों में पुरस्कार प्राप्त किए है अपितु विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय प्रकाषकों द्वारा पुस्तको के प्रकाषन द्वारा वैष्विक पटल पर एक छाप भी छोड़ी है।
पेसिफिक विष्वविद्यालय के डीन, पी. जी. स्टडीज प्रो. हेमन्त कोठारी ने रसायन विज्ञान के शोध क्षेत्रों में विभिन्न नए आयामों पर प्रकाष डाला और बताया कि किस प्रकार रसायन विज्ञान द्वारा विभिन्न वैष्विक समस्याओं का समाधान ढूंढा जा सकता है, जो कि आज विष्व की विभिन्न ज्वलंत समस्याऐं है।
संगोष्ठी के प्रथम दिन शोधार्थियों ने अपने शोध कार्यों को पोस्टर द्वारा प्रस्तुत किया। इस सत्र की अध्यक्षता एवं निर्णायको में प्रो. बी. टी. ठाकर, दक्षिण गुजरात विष्वविद्यालय सूरत ने लिक्व्डि क्रिस्टल के संष्लेषण के बारे में विस्तृत विवेचना की ओर बताया की किस प्रकार द्रव क्रिस्टल के विभिन्न प्रकारो का आज के विभिन्न इलेक्ट्रोनिक्स उपकरणो में उपयोग किया जा रहा है। प्रो. शुभा जैन उज्जैन, ने कार्बनिक यौगिको तथा प्राकृतिक उत्पादों के सष्लेषण एवं निष्कर्षण की विधियों के बारे में बताया साथ ही आज के परिप्रेक्ष्य में हमारे स्वास्थ्य पर हो रहे कृत्रिम उत्पादो से हो रहे दुष्प्प्रभाव से बचने के लिए प्राकृतिक उत्पादो के महत्व एवं भुमिका पर प्रकाष डाला। प्रो. चितरंजन सिन्हा जाधवपुर, ने इंिडयन केमिकल सोसाइटी के उद्देश्यो पर प्रकाष डाला। उन्होने बताया कि यह सोसाइटी 1924 में स्थापित सर्वोच्च रसायन संस्था है। इन्होने कोटडिनेषण यषैगिको के संष्लेषण एवं अनुप्रयोगों पर अपने विचार व्यक्त किए।डाॅ. नीलू चैहान कोटा, ने पानी को विष्लेषित कर हाइड्रोजन के निर्माण की और ध्यान आकर्षित किया जो कि भविष्य का ईंधन है। प्रो. पी.के. शर्मा जय नारायण व्यास विष्वविद्याालय, जोधपुर ने अपने विचार रासायनिक बलगतिकी पर रखें और बताया कि किस प्रकार विभिन्न रासायनिक अभिक्रियाओं के संपादन होने में बलगतिकी की महत्वपूर्ण भूमिका है। प्रो. पी.बी. पंजाबी, उदयपुर ने अपनी भूमिका निभाई। संगोष्ठी के आयोजन सचिव डाॅ. नीतू शोरगर ने बताया कि इस संगोष्ठी में भारत वर्ष के लगभग सभी राज्यों एवं नेपाल, जापान, द.अफ्रिका, स्पेन इत्यादि विदेषों से लगभग 350 प्रतिभागियो ने भाग लिया। उन्होने बताया कि संगोष्ठी के प्रथम दिन लगभग 250 शोधार्थियों ने अपने शोध कार्य को प्रस्तुत किया। वहीं दूसरे दिन रसायन विज्ञान के ख्यातनाम वैज्ञानिको के आमंत्रित व्याख्यान एवं शोधार्थियों के पत्र वाचन का आयोजन होगा। उद्द्याटन कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन निदेषक, पेसिफिक विज्ञान महाविद्यालय के डाॅ. गजेन्द्र पुरोहित ं एवं संचालन डाॅ. सुरभि बैंजामिन द्वारा किया गया।