सेन्ट ऐन्थोनी सेक्टर 4 की टीम रही विजेता
राॅकवुड हाई स्कूल एवं इण्डो अमेरिकन रही संयुक्त रूप से द्वितीय स्थान पर
उदयपुर। पेसिफिक मेडिकल काॅलेज एण्ड हाॅस्पीटल की ओर से विष्व स्ट्रोक दिवस पर उदयपुर षहर के स्कूलो के विधार्थीयों को लकवा के प्रति जागरूक करने के उद्धेष्य से एक प्रषनोत्तरी प्रतियोगिता आयोजित की गई।
प्रतियोगिता में 15 स्कूलों के दसवीं से बारहवीं के 40 से ज्यादा विधार्थीयों ने भाग लिया। चार राउड में हुए इस प्रषनोत्तरी प्रतियोगिता में सेन्ट ऐन्थोनी सेक्टर 4 की टीम रही प्रथम,राॅकवुड हाई स्कूल एवं इण्डो अमेरिकन रही संयुक्त रूप से द्वितीय स्थान पर तो डी.पी.एस.की टीम तीसरे स्थान पर रही। विजेता टीम को पाॅच हजार रूपए का नगद पुरस्कार के साथ साथ ट्राॅफी एवं प्रषस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया जवकि उपविजेता टीम को ट्राॅफी एवं प्रषस्ति पत्र देकर सम्मानित तथा सभी प्रतिभागियों को प्रषस्ति पत्र प्रदान किया गया।
इस दौरान मस्तिश्क रोग विषेशज्ञ डाॅ.अतुलाभ वाजपेयी ने स्ट्रोक दिवस की प्रासंगिकता पर महत्वपूर्ण जानकारी दी साथ ही लकवा के लक्षणों को पहचानने एवं समय पर इलाज के बारे में बताया।
प्रतियोगिता का मुख्य आर्कशण राॅकवुड हाई स्कूल की छात्राओ द्वारा नृत्य के माध्यम से लकवे की बीमारी का जीवन्त प्रस्तुतिकरण किया। कार्यक्रम में पीएमसीएच के चैयरमैन राहुल अग्रवाल,प्राचार्य ए.पी.गुप्ता सहित अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।
इस अवसर पर एक दिवसीय निःषुल्क मस्तिश्क रोग परामर्ष षिविर का आयोजन किया गया। षिविर में पेसिफिक सेन्टर आॅफ न्यूरों साइन्सेस के इन्टरवेंषनल न्यूरोलाॅजिस्ट डाॅ.अतुलाभ वाजपेयी,डाॅ.नरेन्द्र मल, डाॅ.पंकज गाॅधी, डाॅ.विकाष सिंह,डाॅ.राजेष खोईवाल,डाॅ.डेन जुआंगको,डाॅ.सिगीत एवं डाॅ.सौरभ गुप्ता मस्तिष्क एवं लकवा से सम्बन्धित सभी बीमारीयों के साथ साथ,माइग्रेन,मिर्गी,चक्कर आना,सिरदर्द,कमर दर्द सिर की चोट,हाथ पैरों में झनझनाहट,ब्रेन ट्यूमर, स्लिप डिस्क एवं सिर में पानी भरना आदि बीमारीयों कें 127 मरीजों को निःषुल्क परामर्ष दिया। इस दौरान लकवें के 35 मरीजों को निःषुल्क फिजियोथैरेपी की सुविधा उपलब्ध कराई गयी।
डाॅ.अतुलाभ वाजपेयी ने बताया कि समय से पूर्व लकवा रोग से बचने एवं अपंगता से बचाने के लिए पेसिफिक सेन्टर आॅफ न्यूरों साइन्सेस में पहली बार रियायती दरों पर प्रिवेन्टिव स्ट्रोक चैकअप पैकेज उपलब्ध कराया जा रहा है। जिससे की लकवा होने से पूर्व ही उसका उपचार किया जा सके और व्यक्ति को अपंग होने से बचाया जा सके।