उदयपुर। महाप्रज्ञ विहार में आचार्य शिवमुनि ने श्रावकों को आत्म स्वरूप का बोध कराते हुए कहा कि इसे समझने के लिए भेद विज्ञान को समझना जरूरी है। हमेशा मन में यह ऐसे होने चाहिये कि न मैं बड़ा हूं, ना मैं छोटा। न मैं अच्छा हूं न बुरा। न मैं सद्गुणों से भरा हूं न ही दुर्गुणों से।
न मैं धनवान हूं न हीं निर्धन। न मैं बुद्धिमान हूं, न बुद्धिहीन। न मैं सर्वश्रेष्ठ और न ही हीन। मैं सिर्फ और सिर्फ एक शुद्ध आत्मा हूं, शुद्ध-बुद्ध, निरंजन, निराकार, अजर अमर, त्रिकाल सत्य मैं आत्मा हूं सिर्फ आत्मा। आत्म तत्व को जानो, भेद विज्ञान को समझो। बिना भेद विज्ञान के समझो आप अपने भीतर प्रवेश नहीं कर पाओगे, आत्म तत्व को नहीं समझ पाओगे जो कि सत्य ही नहीं परम सत्य है आत्मा ही परमात्मा है।
वे आज श्री वर्द्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ उदयपुर,शिवाचार्य आयोजन समिति एवं विज्ञान समिति के संयुक्त तत्वावधान में विज्ञान समिति में आयोजित ’जैन दर्शन में आध्यात्म एवं भेद विज्ञान’ विषयक विद्धत संगोष्ठी में बोल रहे थे। आचार्यश्री ने कहा कि आंसू से कहांे कि बरसे, रोये नहीं। शबनम से कहो बिखरे, मगर खोयंे नहीं। ध्यान साधना करो, बन्द आंखों से नहीं खुली आंखों से करो। नाम, पद, प्रतिष्ठा, रिश्ते- नाते,धन- दौलत भाई- बन्धु यह सभी पुद्गल हैं, अजीव है। संसार सिर्फ मोह का बन्धन है। इसमें रहने से कुछ भी हासिल नहीं होगा। इतनी धन दौलत हासिल कर ली। उसका भोग करो,खूब करो लेकिन अन्त में क्या हासिल होगा। परमात्मा की शरण में ही आना पड़ेगा। आत्मा को ही साधना पड़ेगा। शास्त्रों का अध्ययन और प्रवचन ते चलते रहेंगे यह महत्वपूर्ण नहीं है, महत्वपूर्ण है आप कितना ग्रहण कर रहे हैं। यह दुनिया मोह का झंझाल हैं। जीवन भर मेरा- मेरा करते रहे और अन्त में मिला क्या। जिसे आप मेरा- मेरा करते हो असल में वो आपका है ही नहीं। आपकी है तो सिर्फ आत्मा। जो अजर अमर है। इस शरीर को सुकुमाल मत बनाआ, इसे धर्म- ध्यान और आत्मसाधना से तपाओ। ।
मुनिश्री शुभम मुनि द्वारा उत्तराध्ययन सूत्र के वाचन के दौरान सैंकड़ों श्रावक- श्राविकाएं उपस्थित होकर सूत्र श्रवण का लाभ ले रहे हैं। इस सूत्र में तप, ध्यान, साधना और आराधना के बारे में, उनके नियमों और कर्तव्यों के बारे में बारीकी से बताया गया है। इस सूत्र के सुनने मात्र से जीवन के कल्याण और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त हो जाता है। गुरूवार को देश के विभिन्न क्षेत्रों से श्रावक- श्राविकाओं ने महाप्रज्ञ विहार पहुंच कर आचार्यश्री से आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर संघ अध्यक्ष आंेकारसिंह सिरोया, चातुर्मास मुख्य संयोजक विरेन्द्र डांगी, डा. एलएल धाकड़,श्राविका संध अध्यक्ष भूरि बाई सिंघवी, सचिव ज्योति सिंघवी सहित अनेक पदाधिकारी मौजूद थे।