मेटलाइफ की सपना, बचत, उड़ान पहल बच्चों में बचत और वित्तीय योदना की आदत को बढ़ावा दे रही है
उदयपुर। जिन बच्चों ने वित्तीय सशक्तीकरण के कार्यक्रम – सपना, बचत, उड़ानः आर्थिक बल, हर परिवार का हक में भाग लिया, उन्हें अपनी इच्छाओं और जरूरतों के बीच का अंतर समझ आया। यह उनके लिए वित्तीय रूप से अधिक स्थिर भविष्य का रास्ता तैयार करने की ओर एक कदम है।
गली गली सिम सिम (सेस्मे स्ट्रीट का भारतीय रूपांतरण) बनाने वाली सेस्मे वर्कशॉप इन इंडिया (एसडब्यूआई) और मेटलाइफ फाउंडेशन ने 2015 में भारत में सपना, बचत, उड़ान पहल शुरू की थी। यह वैश्विक मल्टी-मीडिया कार्यक्रम, सपना, बचत, कार्य: परिवारों के लिए वित्तीय सशक्तीकरण का भारतीय रूपांतरण है। भारत में बढ़ती गरीबी से मुकाबला करने और परिवारों को बेहतर योजना बनाने के लिहाज से वित्तीय सशक्तीकरण की भूमिका बेहद अहम है।
इस कार्यक्रम को दिल्ली, राजस्थान और झारखंड में शुरू किया गया है। 3 से 8 वर्ष के बच्चों और उनके माता-पिता के लिए बनाया गया यह कार्यक्रम वर्तमान तथा भविष्य के लिए खर्च करने, बचाने तथा साझा करने के बारे में समझ-बूझकर फैसले लेने में परिवारों की मदद करता है। साथ ही यह कार्यक्रम वित्तीय सशक्तीकरण के कौशल से जुड़ी उनकी जानकारी, दृष्टिकोण एवं व्यवहार सुधारने वाली सामग्री भी प्रदान करता है।
जरूरत बनाम चाहत
जरूरतों तथा चाहतों के बीच अंतर करना महत्वपूर्ण हुनर है, जो बच्चों को पता होना चाहिए ताकि वे समझबूझकर चुनाव कर सकें और धन समझदारी के साथ खर्च कर सकें। कई अभिभावकों ने बताया कि सपना, बचत, उड़ान कार्यक्रम में रहने के बाद उनके बच्चों ने यह अंतर करना सीख लिया कि उन्हें किस चीज़ की चाहत है (जैसे कि मिठाई या स्नैक्स) और किस चीज की ज़रूरत है (जैसे कि पेंसिल या पेन)।
बचत
कार्यक्रम द्वारा बचत के बारे में अभिभावकों तथा बच्चों की समझ और व्यवहार भी बेहतर हुए । अधिकतर अभिभावकों ने बताया कि बच्चों ने यह सीखा कि बाज़ार से सामान खरीदने के बजाय उसे घर पर ही तैयार करना बचत का अच्छा तरीका है। वे समझ गए कि थोड़ा-थोड़ा धन बचाने से बड़ी बचत हो सकती है और इकट्ठे हुए धन से अधिक महंगा सामान खरीदा जा सकता है। सहायकों और मुख्य प्रशिक्षकों द्वारा किए गए साक्षात्कारों से पता चला कि कार्यक्रम के जरिये बच्चों ने पेंसिल या रबर जैसी छोटी चीजों के बजाय धीरे-धीरे बड़े और ज़्यादा महंगे सामान जैसे किताबें रखने की अलमारी या स्कूल यूनिफॉर्म के नए सेट के लिए धन बचाना शुरू कर दिया। कभी-कभी तो उन्होंने स्कूल की फीस जमा करने में माता-पिता की मदद भी की।
सपने और आकांक्षाएं
अभिभावकों को कार्यक्रम द्वारा एहसास हुआ कि छोटे बच्चों में भी सपने और आकांक्षाएं होनी चाहिए और उन्हें हासिल करने के लिए उन्हें योजनाएं तैयार करनी चाहिए। अभिभावकों ने बताया कि कार्यक्रम में विशेष गतिविधियां करने के बाद कई बच्चों में आजीविका संबंधी आकांक्षाएं पैदा हुईं और उन्होंने समझा कि उच्च शिक्षा प्राप्त करने अथवा अध्ययन सामग्री एवं पुस्तकें खरीदने जैसे लक्ष्य पूरे करने के लिए वे धन बचा सकते हैं।
सेस्मे वर्कशॉप इन इंडिया की उपाध्यक्ष (शिक्षा एवं शोध) इरा जोशी कहती हैं, “बच्चे जैसे-जैसे बड़े होकर वयस्क बनते हैं, वैसे-वैसे ही उनके लिए यह जानना जरूरी है कि बजट कैसे बनाते हैं,समझदारी भरे वित्तीय फैसले कैसे लेते हैं, जोखिमों से कैसे बचते हैं और आपात स्थिति के लिए बचत कैसे करते हैं। छोटी उम्र में ही वित्तीय सशक्तीकरण के विचारों की मजबूत बुनियाद पड़ने तथा उन्हें व्यवहार में लाने के भरपूर मौके मिलने से बच्चे वित्तीय रूप से ज़िम्मेदार वयस्क बन सकते हैं। बच्चों को खर्च करने, बचत करने तथा साझा करने के सिद्धांत समझाने से उन्हें चुनौतियों का सामना करने तथा भविष्य में संदिग्ध आर्थिक स्थितियों से निपटने के लिए बेहतर तरीके से तैयार किया जा सकता है। सपना, बचत, उड़ान कार्यक्रम के जरिये हम सेस्मे स्ट्रीट के पात्रों की ताकत का इस्तेमाल कर वित्तीय सशक्तीकरण से जुड़े सिद्धांतों को सरल एवं उचित तरीके से पेश करने और बच्चों तथा वयस्कों के बीच इनके बारे में संवाद में मदद करना चाहते थे। गुणात्मक शोध से पता चला है कि हम अपने इस प्रयास में सफल रहे हैं। हमें यह देखकर गर्व होता है कि परिवारों में अपनी आकांक्षाओं के बारे में तथा योजना बनाकर एवं बचत कर अपने सपने पूरे करने के तरीकों के बारे में बात हो रही है।”
मेटलाइफ फाउंडेशन के निदेशक – एशिया क्षेत्र कृष्णा ठक्कर ने कहा, “मेटलाइफ फाउंडेशन और सेस्मे वर्कशॉप लंबे समय से उन समुदायों की मदद करते आए हैं, जिनके बीच हम काम करते हैं। हमारा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि परिवारों को ऐसा ज्ञान प्राप्त हो सके, जिससे वे वित्तीय सुरक्षा के मार्ग पर चल सकें। हमें यह देखकर गर्व हो रहा है कि जिन समुदायों में हम काम करते हैं,उनके सुविधाहीन बच्चों के जीवन में सपना, बचत, उड़ान कार्यक्रम ने सकारात्मक असर डाला है।”