डा. गौरव, डा. गुनीत और डा. निलेश ने किया शोध
हर आम बालक के लिए खास होगा प्राणायाम, ऊर्जा के संग्रह से सक्रिय और स्लिम फिट रहेंगे नौनिहाल
डूंगरपुर। ऐलौपैथी से बाल सेहत को संवारने वाले चिकित्सकों ने भी भारतीय संस्कृति, योग पद्धति और शारीरिक क्रिया परपंरा को माना है और सूर्य नमस्कार और प्राणायाम पर शोध किया है। शोध में बताया है कि सूर्य नमस्कार और प्राणायाम बच्चों में मोटापे को कम करने में अचूक रामबाण है।
डूंगरपुर के हरिदेव जोशी सामान्य चिकित्सालय में शिशू रोग विशेषज्ञ डा. गौरव यादव, डा. निलेश गोठी और उदयपुर के पेसिफिक विश्वविद्यालय में योगा विभागाध्यक्षा डा. गुनीत मोंगा ने जानी मानी वैश्विक पत्रिका इंटरनेशनल जर्नल ऑफ कन्टेम्प्ररी पिडियाट्रिक्स में सूर्य नमस्कार और प्राणायाम को बच्चों की सेहत और बच्चों के मोटापे को कम करने के लिए सही क्रिया ठहराया है। तीनों ही विशेषज्ञों ने अपने शोध में भारतीय संस्कृति के दर्शन को मानते हुए सूर्य नमस्कार और प्राणायाम को बच्चों में ऊर्जा के संग्रह और मोटापे को कम करने के लिए मील का पत्थर बताया है। पेसिफिक युनिवर्सिटी की योगा विभागाध्यक्षा डा. गुनीत सूर्य नमस्कार और प्राणायाम विषय पर चाईना और हांगकांग में शोध पत्र प्रस्तुत कर चुकी है। डा. गौरव के कई विषयों पर शोध कर चुके है और सेंट्रल अकेडमी ऑफ पिडीयाट्रिक्स द्वारा राष्ट्रीय कांफ्रेंस नागपुर में सम्मान से नवाजा गया है। मकर संक्रांति पर सूर्य नमस्कार का विशेष महत्व भी बताया गया है।
इन समस्याओं से मिलेगी निजात
चिकित्सकों की टीम ने बताया है कि सूर्य नमस्कार और प्राणायाम बच्चों के लिए लाभदायक है। बच्चों में बढने वाले मोटापे सहित चर्बी, अस्थमा, ह्रदय रोग, स्लीप एपनिया के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए बच्चों की शारीरिक क्रिया को बढ़ावा देने और सूर्य नमस्कार और प्राणायाम मददगार होते है। शोध पत्र में बताया गया है कि सूर्य नमस्कार और प्राणायाम से बचपन के मोटापे के कुशल प्रबंधन का राज छिपा है। करीब १२० बच्चों पर शोध किया गया और सामने चैंकाने वाले तथ्य आएं है। इनसे निपटने के लिए तीनो चिकित्सकों ने योग और प्राणायाम को जरूरी बताया है।
12 योगासन देंगे स्वस्थ्य जीवन
शोध पत्र में सूर्य नमस्कार को कुशल जीवन प्रबंधन का श्रेष्ठ स्त्रोत बताया गया है। शरीर, मन और आत्मा के समग्र विकास और एकाग्रता के लिए योग मॉड्यूल में से सूर्य नमस्कार एक है। इसके अलावा १२ योगासन का समूह स्वस्थ्य जीवन की कल्पना को पुरा करता है। इससे ह्रदय स्वस्थ्य, रक्त परिसंचरण में सुधार पर विशेष फोकस किया गया है। बच्चों में मोटापे को कम करने और वजन संतुलन के लिए कपाल भाति प्राणायाम को श्रेष्ठ माना गया है। इस प्राणायाम से बच्चों का शरीर ऊर्जा से भरा रहता है और नौनिहाल एक्टिव रहते है। आलस्य से निवारण के लिए भी इस प्राणायाम का विशेष महत्व है। बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए तथा पेट की चर्बी कम करने के लिए कपाल भाति का दूसरा श्रेष्ठ विकल्प नहीं है। इसके अलावा भस्त्रिका योगासन बच्चों में शुद्ध वायु का संचार करती है। इस योगासन से बच्चों का शरीर प्रकृति के अनुरूप बेलेंस रहता है।
सूर्य नमस्कार और प्राणायाम प्राचीन परंपरा
भारतीय संस्कृति में सूर्य नमस्कार और प्राणायाम परंपरा रही है, लेकिन बदलेते परिवेश और दौर में आज के नौनिहालो के खानपान में बदलाव मोटापे का प्रमुख कारण माना जाता है। इस पर शोध करते हुए डा.गौरव, डा. गुनीत और डा. निलेश ने ८ जनवरी को प्रकाशित हुए पत्र में बताया है कि बच्चों में मोटापा विश्व की सबसे अधिक बड़ी समस्या में से एक है और सामाजिक और सामान्य जीवन में चुनौती बन गया है। इसका प्रमुख कारण उपभोग की गई कैलोरी और उपयोग में लाई जा रही कैलोरी के बीच का अंतर है। यह भी बताया गया है कि बच्चे खेल मैदान की बजाएं कम्प्यूटर के सामने अधिक समय बिताने लगे है। जंक फूड़ के आदि हो गए है और कम उम्र में ही मोटापे के शिकार हो गए है। बच्चो के पेट में चर्बी बढ़ रही है, लेकिन इसे कम करने के लिए शारीरिक क्रिया कम हो गई है। जंक फूड और चॉकलेट ने शरीर की व्यवस्था को बिगाड़ दिया है।