उदयपुर। वैशाख मास में अक्षय तृतीया के अबूझ सावों के लिए बाजारों में ग्रामीण क्षेत्रों से भीड़ उमड़ने लगी है। पिछले दो दिन से बाजार में यकायक ग्राहकों की संख्या में वृद्धि हुई है जिससे व्यापारियों के चेहरे पर भी रौनक है। उल्लेखनीय है कि इस वर्ष जनवरी, फरवरी और मार्च में बहुत कम सावे होने से व्यापारियों के चेहरे की रौनक गायब हो गई थी।
इसी प्रकार सर्राफा व्यवसायियों की करीब 20 दिन तक दुकानें बंद रहने से भी ग्राहकी पर असर पड़ा था। गांवों से आने वाले लोग विशेषकर धानमण्डी में तिल धरने की जगह नहीं मिलती। सर्राफा व्यवसायी भी ग्राहकों के जेवर बनवाने में कारीगरों के यहां चक्कर लगा रहे हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी पुरातन परम्परा के अनुसार दूल्हा -दुल्हन के कपड़े खरीदने के लिए घर के परिजनों के अलावा मामा, काका, भुआ सहित पूरा परिवार आता है। यही नहीं, उस दिन पूरे परिवार का आना-जाना, नाश्ता, खर्च सब दूल्हा-दुल्हन के पिता को उठाना पड़ता है। यूं भले ही शादी एक की हो लेकिन एक के साथ अमूमन 30-40 लोग आते हैं। इस भाग-दौड़ के युग में एकल परिवारों को प्राथमिकता देने वाले युवाओं के लिए ये ग्रामीण सामूहिक परिवार की परम्परा का अनूठा उदाहरण पेश करते हैं।