रसिकलाल एम. धारीवाल स्कूल में गर्ल्स हॉस्टल का शुभारंभ
उदयपुर। श्री जैन श्वेताम्बरमूर्ति पूजक शिक्षा सोसायटी के तत्वावधान में रविवार को चित्रकूट नगर स्थित रसिकलाल एम. धारीवाल पब्लिक स्कूल के गर्ल्स हॉस्टल का शुभारम्भ परम पूज्य उपाध्याय प्रवर मणिप्रभ सागर आदि ठाणा व डॉ. विद्युतप्रभा आदि ठाणा के सान्निध्य में आयोजित गरिमामय समारोह में सम्प न्न. हुआ। मुख्य अतिथि शहर विधायक गुलाबचन्द कटारिया, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष शांतिलाल चपलोत उपस्थित थे।
उपाध्याय प्रवर मणिप्रभसागरजी म.सा. ने कहा कि देश में समाज सेवा के क्षेत्र में उदारता के साथ भाग लेने वाले जैन समाज के आज भी गांवों अनेक विद्यालय संचालित किये जा रहे है। उन्होंने समाज का आव्हान करते हुए कहा कि वह ऐसे शिक्षण संस्थानों का निर्माण करे जहां शिक्षा के साथ संस्कार और नैतिक मूल्यों का निर्माण हो क्योंकि संस्कार स्कूल से ही प्राप्त होते हैं। अंग्रेजी माध्यम से पढऩे वाला बच्चा आसानी से समाज के हर तबके से जुड़ नहीं पाता है। केवल जैन लगाने से ही जैनत्व प्राप्त नहीं होता। उन्होंने जैन (महाजन) की महिमा बताते हुए कहा कि महाजन किसी मार्ग पर नहीं चलता था वह मार्ग स्वयं बनाता था। उन्होंने आज की परिस्थियों को देखते हुए समाज की एकता पर जोर देते हुए कहा कि अगर जैनत्व का गौरव कायम रखना है और पुराना सम्मान फिर से प्राप्त करना है तो सभी को साथ लेकर चलना होगा। उन्हें नैतिकता और संस्कार का होना जरूरी है। रसिकलाल एम. धारीवाल पब्लिक स्कूल शिक्षा के साथ ही नैतिकता और संस्कार पर पूरा जोर देगा जिससे यहां से पढक़र निकलने वाला बच्चा अन्य स्कूलों के बच्चों के लिए एक प्रेरणा और समाज के लिए एक उदाहरण होगा।
डॉ. विद्युतप्रभा ने कहा कि बच्चों को शिक्षा के मन्दिर में भेजने से पहले यह समझना जरूरी है कि विद्या क्या है। विद्या वो नहीं है जो सम्पत्ति और समृद्धि की दौड़ में दौड़ाये और समाज सेवा को शून्य कर दे। क्या बच्चों को शिक्षा सिर्फ इसलिए प्रदान करवायें कि वह भविष्य में नोट छापने की मशीन बन जाएं। दर असल शिक्षा वो होनी चाहिये जिसमें नैतिक मूल्यों और संस्कारों से ओतप्रोत हों।
शहर विधायक गुलाबचन्द कटारिया ने कहा कि मणिप्रभ सागर ने भगवान के मन्दिरों के साथ ही शिक्षा के मन्दिर बनाने का जो पुनीत कार्य किया है वह निश्चित तौर पर समूची मानवजाति के कल्याण का कार्य है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के साथ संस्कार भी जरूरी है। आज के समाज में काफी गिरावट आई है। शिक्षा का व्यावसायीकरण रोकना जरूरी है। इसके चलते नैतिक मूल्यों का पतन हो रहा है। आज की शिक्षा में नैतिक मूल्य और संस्कार पर कम ही ध्यान दिया जाता है।
मुख्य अतिथि शान्तिलाल चपलोत ने कहा कि जीवन में परोपकार करने के लिए इंसान को हमेशा आगे रहना चाहिये। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस स्कूल में पढऩे वाला बच्चा कुशाग्र बनेगा तथा समाज व राष्ट्रकी सेवा करने में हमेशा तत्पर रहेगा। नैतिक मूल्य और संस्कार देना इस स्कूल का मूल उद्देश्य हैं। उठो- जागो और समाज कल्याण के लिए चलते रहो का उन्होंने मूल मंत्र दिया।
स्कूल के मार्गदर्शक रंगलाल धाकड़ ने भी सारगर्भित उद़बोधन में कहा कि स्कूल का लक्ष्य भ्रमित युवकों को इंसानियत का पाठ पढ़ाकर उन्हें चरित्रवान ओर संस्कारवान बनाना है। यहां का शिक्षण, शिक्षक, नैतिकता, आचरण और संस्कारों में वजन होगा।
गुरू वन्दना तथा दीप प्रज्वलन के साथ प्रारम्भ हुए समारोह में स्कूल के छात्रों ने अपनी मधुर वाणी और तबले पर शानदार संगत करते हुए स्वागत गीतों की प्रस्तुतियां दी। समारोह के प्रारम्भ में ही आर्किटेक उपेन्द्र तातेड़ तथा राधेश्याम भल्ला का सोने की चैन, शॉल और पगड़ी धारण करवा कर सम्मान प्रदान किया गया। स्वागत उद्बोधन में राज लोढ़ा ने स्कूल के प्रारम्भ काल से लेकर इसे पूर्ण करने तक प्रत्यक्ष ओर परोक्ष रूप से जिन भी महानुभावों का सहयोग मिला उन्हें धन्यवाद दिया तथा आगे भी उनसे इसी तरह से सहयोग प्राप्त करने की कामना की। शिक्षा सोसायटी के गजेन्द्र भंसाली ने सभी आगन्तुकों का आभार व्यक्त किया और शुभकामनाएं व्यक्त की। संचालन प्रख्यात कवि, लेखक प्रकाश नागौरी ने किया।