उदयपुर। पेसिफिक विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर अध्ययन एवं रसायनशास्त्र विभाग के साझे में आयोजित अन्तरर्राष्ट्रीय ई-काॅन्फ्रेंस के उद्घाटन समारोह में उत्तर गुजरात विश्वविद्यालय, पाटन, के कुलपति प्रो. जाबालि वोरा ने कहा कि रसायन विज्ञान में तेज गति से शोध कार्य करने की आवश्यकता है।
मूंगेर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. आर. के. वर्मा ने नवीन वैज्ञानिक तकनीकी को शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया में समेकित करने से शिक्षा में गुणवत्ता बढ़ाई जा सकती है। स्नातकोतर अध्ययन के प्रभारी प्रो. हेमन्त कोठारी ने विश्व में बढ़ते प्रदूषण एवं ऊर्जा संकट के बारे में चिंता व्यक्त की तथा वैज्ञानिकों का इन समस्याओं का हल खोजने हेतु आमंत्रित किया। इस कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष प्रो. सुरेश आमेटा ने वर्तमान समय में ऊर्जा संकट के समाधान हेतु हरित रसायन की आवश्यकता बताई। कॉन्फ्रेंस निदेशक प्रो. रामेश्वर आमेटा ने पेसिफिक विश्वविद्यालय में 2011 में विज्ञान संकाय के प्रारंभ होने से अभी तक की प्रगति का विवरण प्रस्तुत किया। इस कार्यक्रम में प्रो. सुरेश आमेटा द्वारा संपादित पुस्तक श्साइंस ऑफ नैनोमटिरियलश् तथा प्रो. रामेश्वर आमेटा द्वारा लिखित श्सिमेट्री एंड ग्रुप थ्योरी इन केमिस्ट्रीश् (द्वित्तीय संस्करण) का लोकार्पण विश्वविद्यालय के प्रेसिडेंट प्रो. के. के. दवे एवं प्रो. हेमन्त कोठारी ने किया। उद्घाटन समारोह के अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो. के. के. दवे ने कहा कि इस तरह के आयोजन से युवा पीढ़ी शोध की ओर आगे आने हेतु प्रेरित होगी। उद्घाटन समारोह के तुरंत बाद ही प्रथम तकनीकी सत्र में कोटा विश्वविद्यालय की डॉ. नीलू चैहान ने अपने आमंत्रित व्याख्यान में जल को विभाजित कर हाइड्रोजन प्राप्त करने में रसायन विज्ञान की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि हरित ईधन के रूप में भविष्य का ईंधन ष्हाइड्रोजनष् होगा। रोमानिया की डाॅ. अन्का आर्मासेंलु ने क्वान्टम बिन्दुओं की उपयोेगिता की व्याख्या की तथा बताया कि इनका उपयोग भविष्य में नवीन एवं प्रभावी स्म्क् कम्प्यूटर, टीवी आदि में होगा। इन्टास फार्मास्यूटिकल्स, अहमदाबाद के उपाध्यक्ष डॉ. प्रतीक वोरा ने ष्बौद्धिक सम्पदा अधिकारष् विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए पेटेन्ट प्रक्रिया के विभिन्न आयामों से अवगत करवाया। आज के तकनीकी सत्र में 50 से अधिक शोध पत्र प्रस्तुत किए गए। पोस्टर प्रस्तुतिकरण ट्विटर हैंडल पर किया गया। समारोह का संचालन प्रो. सुभाष शर्मा एवं प्रो. नीतू शोरगर ने किया।