उदयपुर। आलोक संस्थान के हिरणमगरी से. 11 सीनियर सैकण्डरी स्कूल में समूह ध्यान सभा हुई। निदेशक डॉ. प्रदीप कुमावत ने कहा कि हमें दुनिया वैसी ही नजर आती है, जैसी हम देखना चाहते हैं। यदि हम सकारात्मक सोच रखते हैं तो हमारे साथ सभी घटनाएं सकारात्मक ही घटित होती है।
उन्होंने कहा कि सोचने का दृष्टिकोण जैसा होता है, उसी प्रकार की क्रियाएं जीवन में घटित होती हैं। जो व्यक्तित्व में है ही नहीं, दुनिया की कोई ताकत दे नहीं सकती। जो शक्ति हमारे भीतर यानी व्यक्तित्व में है वह हमसे कोई छीन नहीं सकता। बुरा और अच्छा दिमाग की सोच है। जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि, ईर्ष्यालु व्यक्तित्व का मनुष्य कभी भी जीवन को सुंदर नहीं बना सकता। और न ही दूसरों के जीवन को ऊँचा उठाने में सहयोग देता है। अच्छा आचरण मनुष्य जीवन को श्रेष्ठता प्रदान करता है। अच्छा आचरण उसे जीवन में उन्नति के शिखर पर खड़ा करता है।
उन्होंने कहा कि जीवन को देखने के दो दृष्टिकोण होते हैं। हर व्यक्ति में सकारात्मक गुण को देखने का प्रयास करना चाहिये। सकारात्मक दृष्टिकोण रखने वाले व्यक्ति का जीवन सुंदर फूलों के समान हो जाता है। सकारात्मक सोच रखने वाला व्यक्ति कभी भी दूसरों में नकारात्मकता को नहीं देखता वह सदैव मनुष्य की अच्छाइयां ही देखता है।