हिन्दुस्तान जिंक द्वारा स्वास्थ्य सेवा परियोजना के माध्यम से समुदाय को एसटीएच संचरण के बारे में जागरूक करने के उद्धेश्य से भीलवाड़ा, उदयपुर, चित्तौड़गढ़ और राजसमंद जिलों के बडला, नेवातलाई, भलदिया, गणेशपुरा, शिवपुरा, अमरपुरा गांवों में जागरूकता सत्र आयोजित किया।
हिन्दुस्तान जिंक ने मोबाइल हेल्थ यूनिट द्वारा दीपक फाउंडेशन और वॉकहार्ट फाउंडेशन द्वारा इन सत्रो को आयोजित कर समुदाय को जागरूक किया। अभिभावकों को जागरूक किया गया कि एसटीएच संक्रमण से एनीमिया, कुपोषण, बिगड़ा हुआ मानसिक और शारीरिक और संज्ञानात्मक विकास हो सकता है एवं स्कूल की भागीदारी कम हो सकती है जिसे सामान्य तौर अपनी आदतों में, स्वच्छता हेतु शौचालयों का उपयोग करना, नियमित हाथों की स्वच्छता, विशेष रूप से खाने से पहले और शौचालय का उपयोग करने के बाद हाथ धोना, चप्पल और जूते पहनना, फलों और सब्जियों को सुरक्षित और साफ पानी में धोना, ठीक से पका हुआ भोजन से रोका जा सकता है। इन सत्रों से 300 से अधिक बच्चे लाभान्वित हुए। विद्यालयों और समुदाय में सामान्य जांच की गई और डी-वर्मिंग की दवा प्रदान की गई।
राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस देश के प्रत्येक बच्चे को कृमि मुक्त बनाने के लिए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार की एक पहल है। यह कम अवधि के दौरान बड़ी संख्या में बच्चों तक पहुंचने वाले सबसे बड़े सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों में से एक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत में 1 से 14 वर्ष की आयु के 241 मिलियन बच्चों को परजीवी आंतों के कीड़े होने का खतरा है, जिन्हें मृदा-संचारित कृमि (एसटीएच) भी कहा जाता है।