दो दिवसीय संगोष्ठी एवं कला सृजन कार्यशाला शुरू
उदयपुर। आजादी के अमृत महोत्सव के तहत उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, पटियाला (पंजाब) एवं सूचना एवं जनसंपर्क कार्यालय, उदयपुर के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय संगोष्ठी एवं कला सृजन कार्यशाला का शुभारंभ गुरुवार सूचना केन्द्र में हुआ।
शुभारंभ समारोह के मुख्य अतिथि महाराणा प्रताप स्मारक समिति के अध्यक्ष एवं ट्रस्टी एमएमसीएफ डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ थे। अध्यक्षता करते हुए उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के निदेशक मो. फुरकान खान ने कला जगत की विभिन्न प्रतिभाओं को प्रोत्साहित किया और कहा कि कलाकार रचनाओं का सृजन करें जो आमजन के समझ में आए, मन भाए। उन्होंने डॉ. लक्ष्यराज मेवाड़ का आभार जताते हुए कहा कि पूर्व में उनके पिता अरविंद सिंह ने भी उनकी कृतियों को प्रोत्साहित किया और मेवाड़ में कला को विशेष सम्मान मिलता आया है। खान ने कहा कि आज के दौर में कलाकारों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है और हम हाल ही में कोरोना के भयंकर दौर से गुजरे है लेकिन हमें इन सभी से ऊपर उठकर लगातार आगे बढ़ना होगा और कला के संरक्षण के साथ आजीविका के लिए बेहतर कार्य करना होगा। उन्होंने कहा कि कलाकार के पास हुनर की कोई कमी नहीं है और इसी हुनर को जीवन्त रखते हुए कला को एक विशिष्ट पहचान देनी होगी।
विशिष्ट अतिथि सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के उपनिदेशक डॉ. कमलेश शर्मा ‘मुम्किन नहीं कि हर जगह मिले खुश्क जमीं, प्यासे जो गर चल पढ़े हैं तो दरिया भी मिल जाएगा…… की पंक्तियों के साथ विभिन्न क्षेत्रों से शामिल हुए कलाकारों-साहित्यकारों को प्रोत्साहित किया और कहा कि उदयपुर में कई प्रकार के फेस्टिवल और मेलों का आयोजन होता है, ऐसे में हम सभी लक्ष्य साधकर आगे बढ़े तो आने वाले दिनों में स्मार्ट सिटी में एक आर्ट फेस्टिवल की नींव भी रखी जा सकती है, जो सभी कलाकारों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी। उन्होंने कहा के हमारे बीच ऐसे कलाकार है जिनकी पेंटिंग्स देश-विदेशों में भेजी जाती है, ऐसे छायाकार है जिनके छायाचित्रों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नवाजा गया है। प्रारंभ में कार्यक्रम संयोजक व शिल्पकार हेमंत जोशी ने अतिथियों का स्वागत करते हुए इस कार्यशाला के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का प्रभावी संचालन चेतन औदीच्य ने किया जबकि आभार भावना व्यास ने जताया।
कला चर्चा में उभरे विविध विषय:
कार्यशाला में जिले के चित्रकार डॉ. चित्रसेन, चेतन औदीच्य व प्रेषिका द्विवेदी, शिल्पकार हेमंत जोशी व डॉ.निर्मल यादव, विधान द्विवेदी व युवराज मालवीया, विपुल वैष्णव, अभय भाटी व सुनील व्यास, रेडियो आर्टिस्ट भावना व्यास, कपिल पालीवाल व माधुरी शर्मा आदि ने कलाओं के अंतःसंबंध और आधुनिकता के इस दौर में कलाओं के विस्तार और विकास पर विचार रखे और सुझाव दिए।