विश्वभर में बहुत कम ही मामले हुए है दर्ज
उदयपुर। पेसिफिक मेडिकल काॅलेज एण्ड हाॅस्पिटल में 77 वर्षीय गुलाबी बाई के पित्त की थैली से 7 सेन्टीमीटर एवं 45 ग्राम वजनी पथरी को निकालकर उसे दर्द से निजात दिलाई। इस सफल आपेरशन में वरिष्ठ सर्जन डाॅ.के.सी.व्यास,डॉ धवल शर्मा,डाॅ.केविन,ऐनेस्थिशिया विभाग के डॉ. प्रकाश औदिच्य, डाॅ. प्रशान्त, नंदिनी, चिंतामणि परमेश्वर, फूलशंकर एवं शहनाज की टीम का सहयोग रहा।
दरअसल 77 वर्षीय गुलाबी बाई कोे पेट में दर्द के चलते डाॅ. के.सी.व्यास को दिखाया तो जाॅच कराने पर मरीज की पित्त की थैली में बड़ी पथरी का पता चला जिसका दूरबीन द्वारा आॅपरेशन से इलाज संभव था। उम्रदराज होने के कारण एनेस्थर्सिया मैनेजमेंट भी जटिल था लेकिन विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम एवं वेहतरीन इन्फ्रसस्क्ट्रचर के चलते यह सम्भव हो सका।
डाॅ.व्यास ने बताया कि पित्त की थैली में पथरी फसी होने के कारण सूजन एवम इन्फेक्शन हो गया है जिसको ऑपरेशन कर निकला गया। ऑपरेशन पश्चात पित्त की थैली में से जब पथरी निकली गई तो उसके आकार एवम साइज को लेके सभी अचंभित रह गए । पथरी 7 सेमी. लम्बाई, 5 सेमी चैड़ाई और 2.5 सेमी ऊंचाई नापी गई। पथरी का वजन 45 ग्राम पाया गया।
जनरल एवम लेप्रोस्कोपिक सर्जन डाॅ.धवल शर्मा ने बताया कि आम तौर पे 5 सेमी से बड़े गाल स्टोन बहुत दुर्लभ हैं और उन्हें जायंट गाॅल स्टोन कहा जाता है। जायंट गाॅल ब्लेडर स्टोन की सर्जरी लेप्रोस्काॅपी द्वारा छोटे छेद से ऑपरेशन करना काफी जटिल था।
डाॅ.के.सी.व्यास ने बताया कि विश्व के वेनेजुएला देश मैं 12 सेमी. पित्त की थैली की पथरी के ऑपरेशन का विश्व रिकॉर्ड है एवं भारत के हिमाचल प्रदेश प्रांत में 8 सेमी की पथरी ओपन ऑपरेशन कर निकाली गई परंतु भारत में 7 सेमी पित्ताशय की पथरी का लेप्रोस्काॅपी द्वारा आॅपरेशन का अब तक का कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है।
मरीज को पूर्ण रूप से स्वस्थ्य है एवं उसको डिचार्च कर दिया है। परिजनो ने पेसिफिक मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन राहुल अग्रवाल एवं अमन अग्रवाल का आभार व्यक्त किया।