उदयपुर। पेसिफिक विश्वविद्यालय में मानव कल्याण एवं वैश्विक जागरूकता पर दो दिवसीय 11 वीं अर्न्तराष्ट्रीय विज्ञान कांग्रेंस अर्न्तराष्ट्रीय सांइस कम्युनिटी एसोसिएसन एवं पेसिफिक विश्वविद्यालय, के तत्वावधान में आयोजित हुई। उद्घाटन समारोह में स्वागत उद्बोधन कान्फ्रेंस अध्यक्ष प्रो. दीपक शर्मा ने दिया। उन्होनें संगोष्ठी के उद्देश्यों एवं देश भर से भाग लेने आये प्रतिभागियों का विवरण प्रस्तुत किया। मुख्य अतिथि डॉ. ए. पी. गुप्ता, कुलपति पेसिफिक मेडिकल विश्वविद्यालय, उदयपुर थे।
उन्होनें मानव कल्याण के लिए वैश्विक जागरूकता पर व्याख्यान प्रस्तुत किया। समारोह के विशिष्ठ अतिथि प्रो. के. के. दवे, प्रेसिडेन्ट पेसिफिक विश्वविद्यालय थे। उन्होनें कहा देश सेवा के लिए सकारात्मक ऊर्जा के साथ अपने शोध कार्य को आगे बढ़ाना है। विशिष्ठ अतिथि प्रो. एस. सी. आमेटा, प्रोफेसर एमिनेन्स, पेसिफिक विश्वविद्यालय उदयपुर थे। प्रो. आमेटा ने भविष्य में ग्लोबल वार्मिग का दुष्प्रभाव पर प्रकाश डाला एवं कार्बन उत्सर्जन का नियंत्रण एवं उसके अपचयन की ओर ध्यान आकर्षित किया। प्रो. हेमन्त कोठारी, डीन पी. जी. पेसिफिक विश्वविद्यालय ने वैश्विक स्तर पर वर्तमान में उपस्थित चुनौतियाँ जैसे जलवायु परिवर्तन, महामारी, सांस्कृतिक संवेदनशीलता आदि पर प्रकाश डालते हुए विश्वविद्यालय के अन्तर्गत होने वाले शोधकार्योें का विवरण प्रस्तुत किया।
समारोह में प्रो. आशीष शर्मा क्राईस्ट विश्वविद्यालय, दिल्ली ने आईएससी द्वारा दिये जाने वाले पुरस्कारों की उद्घोषणा की। प्रो. एन. के वर्मा, कानपुर को अन्तर्राष्ट्रीय श्रेष्ठ शिक्षक सम्मान तथा प्रो. एस. के. वर्मा पेसिफिक मेडिकल विश्वविद्यालय, उदयपुर को इन्टरनेशनल लाईफ टाईम अचिवमेन्ट पुरस्कार प्रदान किया गया। प्रो. एस. के. वर्मा एवं डॉ एन. भोजक समारोह के मुख्य वक्ता थे। प्रो. एस. के. वर्मा ने वैश्विक सर्वव्यापी महामारी हृदय रोग के प्रबन्धन के लिए समग्र दृष्टिकोण पर व्याख्यान दिया। डॉ. एन. भोजक ने आज की मांग हरित ऑडिट एवं हरित कैम्पस पर व्याख्यान दिया। समारोह के द्वितीय सत्र के विषयानुसार आंमत्रित व्याख्यान एवं मौखिक शोध पत्र प्रस्तुत किये गये। डॉ. एन के शर्मा ने आप्टिकल फाइबर का तकनीकी उपयोग एवं कार्यप्रणाली, डॉ. शिखा अग्रवाल ने हरित संश्लेषण पर प्रकाश डाला। डॉ. वी. कुमार, एग्रीकल्चर विश्वविद्यालय, करनाल हरियाणा ने प्रमुख फसलों में उर्वरकों के उपयोग एवं लागत विश्लेषण पर व्याख्यान दिया।
डॉ. नेहा माथुर, दौसा ने बेन्जोथायेजोल का आज के परिपेक्ष में उपयोग पर प्रकाश डाला। म. अपशिष्ठ प्रबन्धन पर डॉ. के. कत्थावाला ने प्रकाश डाला। हरित संक्षारण अवरोधक में मूली के उपयोग को डॉ. ज.े दास, मुम्बई ने समझाया। डॉ. एन. विश्नोई, ने खाद्य एलर्जी एवं डॉ. बी. रशिद ने टॉन्सिल्स मे होम्योपैथिक के उपयोग पर प्रकाश डाला। डॉ. आर. क.े वर्मा, किंग जार्ज मेडिकल विश्वविद्यालय, लखनऊ ने पोषण और आहार विज्ञान में गांधीवादी दृष्टिकोण को प्रस्तुत किया। तृतीय सत्र में प्रतिभागियों द्वारा पोस्टर एवं मौखिक शोध पत्र प्रस्तुत किये गये। इस कान्फ्रेंस में 4 विभिन्न देशों, नाइजीरिया, नेपाल, भूटान एवं श्रींलका और भारत के 15 राज्यों से 112 प्रतिभागियों द्वारा शोध पत्र प्रस्तुत किये गये। समारोह में इन्टरनेशल साईन्टिसट पुरूस्कार विभिन्न क्षेत्रों में मौखिक एवं पोस्टर के लिए सस्मिता पण्ड्या, जानवी पंचाल, फाल्गुनी माथूर, रमेश गनी, नीतू झाला, रविन्द्र कोहली, वैष्णवी शर्मा, पंकज सुथार, सुरभी गौंड, समीन शाफी, वर्षा विश्वकर्मा, कल्पना पाटीदार, अतुल गुप्ता, निशा आर्यद एवं नेहा राठौड़ को श्रेष्ठ शोध पत्र के लिए पुरूस्कृत किया गया। संचालन दीपिका एवं दिप्ती तथा धन्यवाद डॉ. आशा अरोड़ा एवं खातून आफ्ताब कत्थावाला ने ज्ञापित किया।