योजना के लिए 60 करोड़ के प्रस्ताव
उदयपुर। उदयपुर शहर की झीलों को वर्ष पर्यन्त भरा रखने एवं जिले के 104 गांवों को पेयजल सुविधा उपलब्ध कराने वाली मोहनलाल सुखाडि़या जल अपवर्तन परियोजना का सुनहरा सफर अब अंतिम चरण में है। देवास द्वितीय के रूप में स्वीकृत हुई इस योजना का सपना पूर्व मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाडि़या ने देखा था।
मुख्यमंत्री गहलोत ने न सिर्फ परियोजना को गति दी बल्कि परियोजना का नाम भी सुखाडि़या के नाम पर कर दिया। अधिशाषी अभियंता (जल संसाधन) अशोक बाबेल ने बताया कि परियोजना के दूसरे चरण के तहत वर्ष 2012-13 के लिए 60 करोड़ के बजट प्रस्ताव राज्य सरकार को भिजवाये गये हैं। परियोजना का कार्य दिसम्बर 2012 तक पूर्ण होने की आशा है।
परियोजना का कार्य वर्ष 2005-06 से आरम्भ हुआ जिसकी आरम्भिक प्रशासनिक स्वीकृति 139.36 करोड़ जारी की गई। 2007 में 379.19 करोड़ की संशोधित स्वीकृति जारी की गई। परियोजना के लिए 268.90 करोड का ऋण नाबार्ड द्वारा प्रदान किया गया है। 11.05 किलोमीटर लम्बी मुख्य जल परिवहन सुरंग का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है, वहीं 1210 मीटर लम्बी मादडी लिंक सुरंग के हाल ही आर-पार हो जाने से आसन्न वर्षाकाल का पानी भी उदयपुर पहुंच सकेगा। मादडी बांध व लिंक टनल कार्य 55 फीसदी से अधिक पूरा किया जा चुका है। इसमें भी महत्वपूर्ण कार्य 1.21 किलोमीटर लम्बी मादडी लिंक टनल का है, जो आकोदडा एवं मादडी बांध को आपस में जोडेगी। मादडी बांध में पानी की आवक उबेश्वर घाटे से झाडोल की तरफ के केचमेन्ट से होगी। कुछ पानी देवास एवं मान्सी वाकल के केचमेन्ट से भी आयेगा। पहले चरण में अलसीगढ़ गांव में बांध व सुरंग बनाकर पानी सीसारमा नदी से पिछोला तक पहुंचाने का कार्य पहले ही पूरा कर लिया गया है।