भारतीय लायंस परिसंघ की स्लोगन स्पर्धा
उदयपुर। माता-पिता कितने निष्ठुर होते हैं जो वे अपने बच्चे को गर्भ में ही हत्या करवानें से भी नहीं चकते है। भारतीय लायन्स परिसंघ द्वारा आयोजित की जा रही कन्या भ्रूण हत्या के विरोध मे स्लोगन लेखन प्रतियोगिता में प्रतिभागी विचारों से उन माता-पिता को झकझोरने पर विवश कर रहे है। जनता का यही मत है कि यदि उनके स्लोगन से एक कन्या भी यदि गर्भ मे बचती हे तो वे अपने आप को धन्य समझेंगे।
कल के स्लोगन लेखन प्रतियोगिता में प्रथम विजेता रही प्रीति आमेटा अपने स्लोगन में लिखते हुए कहती है यही नवजात अपनी मां से पुकार करता है कि हमें ना पता जनम के पहले हमरी कहा अटारी थी,आंख खुली तो नभ के नचे आयी गोद परायी थी। कन्या जन्म से लेना बेकार, जननी उसे देती मार, जब बाढ़ ही खेत को खाये तो फसल कहां बच पायें।
परिसंघ की रंजना मेहता ने बताया कि कल द्वितीय विजेता के रूप में प्रेषित उपाध्याय व फखरूनिशा के स्लोगन श्रेष्ठ रहे। प्रेषित उपाध्याय लिखते है कि भारतीय नारी जब धारती कटारी है तो दिले अरी समान कर देती है, कमल सरीखे कर कमल उठाती है तो वेद ही ऋचा का निर्माण कर देती है। इन सभी विजेताओं को आज के मुख्य अतिथि संदीप नाचानी, विशिष्ठ अतिथि प्रेम देवी कुम्भ व मीरंा गल्र्स कॉलेज की उप प्राचार्या इन्द्रा बोर्दिया ने पुरूस्कृत किया। उन्होनें बताया कि परिसंघ द्वारा छाछ वितरण कार्य भी निर्बाध गति से संचालित किया जा रहा है।