उदयपुर. अभी ऋण माफिया का मामला उदयपुर में चल ही रहा है, उधर सरकार ने 90-A खोल दी. जमीन के मामले में 90-A खोलने का मतलब उन बिल्डर्स को आवासीय निर्माण की स्वीकृति देना है जो कृषि भूमि खरीद कर उस पर निर्माण कर भारी-भरकम राशि में मकान-फ्लैट्स बेचकर अपनी जेबें भरेंगे.
यह स्वीकृति देने के बाद उक्त कॉलोनी में सुविधाएँ उपलब्ध कराने में सरकारी सहायता भी मिलेगी. बाजार सूत्रों का कहना है कि गत 6-7 वर्षों में उदयपुर में जमीनों के दामों में जो उछाल आया है, वह ऐतिहासिक है लेकिन फिलहाल कुछ समय से ऋण माफियाओं की सक्रियता, हर आदमी का जमीन या प्लाट लेने का सपना आदि-आदि से बाज़ार से पैसा गायब हो गया और पैसे की तरलता खत्म हो गयी. जानकार बताते हैं कि ऋण माफियाओं के चक्कर में फंसने का लोगों का यही कारण है.
बिल्डर्स लोगों को लुभाने के लिए हर प्रकार के फायदे दिखा रहे हैं. एक बिल्डर ने तो अब लोगों को लुभाने के लिए अपने प्रचार में समय से पूर्व फ़्लैट का पजेशन देने की अपने मुंह मियां मिट्ठू बनकर खुद की तारीफ़ की है. यह बात जरूर है कि ऐसे कई बिल्डर है जो वादे भले ही करते हैं लेकिन समय पर वे पजेशन नहीं दे पाते. इसके बाद प्रार्थी बिल्डर के चंगुल में फंसकर रह जाता है और कुछ कर नहीं पाता.
नवरतन कॉम्प्लेक्स में तो फ्लैट्स की बाढ़ सी आ गयी है. जानकारों का कहना है कि नवरतन कॉम्प्लेक्स में जितने फ्लैट्स बन रहे हैं, उसके अनुसार आने वाले समय में वहां के लिए पूरा एक अलग ही थाना कायम करना पड़ेगा. उदयपुर में ऐसे कई प्रोजेक्ट्स हैं जिन्हें शुरू हुए काफी समय हुआ. आयड़ पुलिया के समीप, दुर्गा नर्सरी रोड पर जयपुर बेस्ड कंपनी का बन रहा कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स आदि को बनते-बनते इतना समय हो गया कि अब लोगों का बोरियत सी होने लगी है. इसी प्रकार पंचवटी स्थित मॉल में आज भी कई दुकानें खाली पड़ी है वहीँ अंतर्राष्ट्रीय स्तर के भुवाना स्थित मॉल में भी कई शॉप्स खाली पड़ी हैं.
बिल्डर कैसे लोगों को अपने जाल में फंसाते हैं, उसका एक नमूना गत दिनों एक बिल्डर के खिलाफ प्रार्थी के पुत्र, पुत्रवधू सहित परिवार ने मामला दर्ज कराकर दिखाया। न सिर्फ मामला दर्ज कराया बल्कि इसमें करोड़ों की जालसाजी करने का भी आरोप लगाया। प्रार्थी का आरोप है कि बिल्डर ने उसके पिता को बेवकूफ बनाकर काफी कम पैसे देकर रजिस्ट्री करा ली। बिल्डर उदयपुर के नामी ब्रदर्स बताए जाते हैं।
लोगों का यह भी मानना है कि उदयपुर अभी उस फ्लैट्स की संस्कृति तक नहीं पहुँच पाया है. यहां जमीन ही इतनी उपलब्ध है कि आसानी से वह मकान बना सकता है. फ़्लैट मुंबई के लिए ठीक है जहां जमीन ही उपलब्ध नहीं है और जनसँख्या निरंतर बढ़ रही है.