प्रसार शिक्षा परिषद की बैठक
उदयपुर। महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वाविद्यालय, विश्वविद्यालय की तेरहवीं प्रसार शिक्षा परिषद् बैठक प्रसार शिक्षा निदेशालय के प्रज्ञा सभागार में हुई। इसमें कृषि क्षेत्र में विस्ता र एवं नवीनता लाने के लिए कई निर्णय किए गए।
बैठक में महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वनविद्यालय के कुलपति प्रो. ओ.पी. गिल ने अध्यक्षता की एवं ख्याति प्राप्त कृषि वैज्ञानिक प्रो ए. एम. शेख, कुलपति, आनन्द कृषि विश्वीविद्यालय आनन्द, गुजरात व प्रो. जे. एस. पंवार ने आमंत्रित विशेषज्ञ के रूप में विचार व्यक्त किए।
निदेशक (प्रसार शिक्षा) प्रो. आई. जे. माथुर ने बताया कि बैठक में मुख्य रूप से जिन एजेण्डा बिन्दुओं पर निर्णय लिये गये वे इस प्रकार हैं – कोटा, सिरोही व झालावाड़ में उत्पादक कम्पनी का गठन करना, सरकारी व गैर सरकारी संगठनों/संस्थाओं के साथ सहभागिता, कृषि विज्ञान केन्द्र के कार्यक्रम समन्वयक/वैज्ञानिकों का देश के श्रेष्ठडतम कृषि विज्ञान केन्द्रों पर भ्रमण, कृषि विज्ञान केन्द्रों को विषय विशिष्टाता प्रदान करना, प्रसार शिक्षा निदेशालय व कृषि विज्ञान केन्द्रों पर प्रसार शिक्षा से जुड़े ख्यात् वैज्ञानिकों की कार्य विशेष के लिए सेवाएं लेना, विश्वरविद्यालय की सभी इकाइयों की प्रसार गतिविधियों को कृषि विज्ञान केन्द्रों द्वारा अंगीकृत गांवों में आयोजन करना, वैज्ञानिकों को मोबाईल फोन की सीयूजी सेवाएं उपलब्ध कराना, प्रसार शिक्षा निदेशालय एवं कृषि विज्ञान केन्द्रों द्वारा कृषि विज्ञान मेलों के आयोजन हेतु राशि उपलब्ध करवाना, विश्वकविद्यालय स्तर पर होने वाले कृषि मेले में प्रगतिशील किसानों हेतु पुरस्कार प्रायोजित करने के सम्बन्ध में निर्णय एवं विश्वतविद्यालय के स्थापना दिवस पर विशेष आयोजन करना। बैठक में राजस्थान के दक्षिणी एवं दक्षिण-पूर्वी सभी बारह जिलों के लिए आगामी वर्ष की कृषि व सम्बन्धित गतिविधियों की रूपरेखा तय की गयी।
डॉ. ए. एम. शेख ने विचार व्यक्त करते हुए विश्वएविद्यालय के कृषि विज्ञान केन्द्रों के कार्यों की सराहना की। डॉ. शेख विश्वेविद्यालय के कृषि विज्ञान केन्द्रों पर संचालित विभिन्न रिवॉल्विंग फण्ड इकाइयों एवं बीज प्रतिस्थापन के कार्यों से विशेष रूप से प्रभावित उन्होंने कम लागत के पॉली हाउस एवं पशुपालन आधारित प्रदर्शन इकाइयों, आवश्यहकता आधारित प्रशिक्षणों के आयोजन एवं किसानों तथा वैज्ञानिकों के बीच मजबूत लिंकेज की स्थापना पर बल दिया। डॉ. वाई. वी. सिंह ने विश्वेविद्यालय के कृषि विज्ञान केन्द्रों के वैज्ञानिकों को टीम भावना से बेहतर कार्य प्रदर्शन पर कहा कि अनुसंधान एवं प्रसार वैज्ञानिकों द्वारा सामूहिक कार्यक्रम निर्माण एवं जैव नियंत्रकों को बढ़ावा देने की आवश्येकता है। उन्होंने शिक्षा को प्रसार कार्यक्रमों से जोडऩे हेतु पीएचडी शोधार्थियों को कृषि विज्ञान केन्द्रों से संबंधित कृषि समस्याओं पर शोध करने का सुझाव दिया।
अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ. ओ.पी.गिल ने कहा कि विश्व विद्यालय के अन्तर्गत सभी कृषि विज्ञान केन्द्र राजस्थान के दक्षिण एवं दक्षिण-पूर्वी क्षेत्र के कृषकों को नवीन कृषि तकनीकी हस्तान्तरण द्वारा स्वाबलम्बी बनाने एवं आर्थिक दृष्टि से अधिक सक्षम बनाने तथा क्षेत्र में कृषि विकास के उद्देश्यब से सतत् प्रयत्नशील हैं। उन्होंने कृषकों फल-सब्जी उत्पादन, पशुपालन, कृषक महिला सशक्तिकरण, पौध संरक्षण, कृषि अभियांत्रिकी आधारित प्रशिक्षण, प्रक्षेत्र प्रदर्शन इत्यादि कार्यक्रम के आयोजन में गहनता लाने पर बल दिया। उन्होंने विभिन्न कृषि एजेन्सियों एवं विश्व्विद्यालय की अनुसंधान, प्रसार एवं शिक्षा इकाइयों के बेहतर लिंकेज का सुझाव भी रखा।
पूर्व निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ. जे. एस. पंवार ने भी विचार व्य्क्त् किए। उन्होंने किसान मेलों के नियमित आयोजन पर बल देते हुए कहा कि इनके द्वारा बड़ी संख्या में नवीनतम तकनीक का हस्तान्तरण किसानों तक किया जा सकता है। बैठक में कृषि विज्ञान केन्द्र, सिरोही, बांसवाड़ा एवं कोटा के कार्यक्रम समन्वयकों क्रमश: डॉ. एस. एन. ओझा, डॉ. आर.एल.सोनी, डॉ. आर.एल.सुहालका एवं प्रगतिशील कृषक सावा—चित्तौडगढ़ के रामनारायण तेली, कांचौली-सिरोही के ईशाक अली एवं गुलाबपुरा—अंता (बांरा) के गणपतलाल नागर ने अपने प्रक्षेत्र पर किये जा रहे कृषि नवाचारों की सफलता से सदन को अवगत कराया।
बैठक में कृषि विज्ञान केन्द्रों के जोनल कोआर्डीनेटर (आईसीएआर) डॉ. वाई. वी. सिंह, विश्व विद्यालय के संघटक अभियांत्रिकी महाविद्यालय के अधिष्ठाआता डॉ. एन.एस.राठौड़, डेयरी महाविद्यालय की अधिष्ठायता डॉ. माया चौधरी, निदेशक अनुसंधन डॉ. पी.एल.मालीवाल, निदेशक आवासीय निर्देशन डॉ. जी. एस. चौहान, कुलसचिव डॉ. पी.के.गुप्ता, वित्त नियंत्रक भूपेश माथुर, राज्य के कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन एवं मात्य्कुलकी विभाग के वरिष्ठत अधिकारी, स्वयसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि, विश्वभविद्यालय के कार्यक्षेत्र के कृषि विज्ञान केन्द्रों के कार्यक्रम समन्वयक, कृषक प्रतिनिधि, विभिन्न विभागाध्यक्ष एवं वैज्ञानिकगण उपस्थित थें। संचालन डॉ. लतिका व्यास ने किया एवं धन्यवाद प्रस्ताव डॉ. मीना सनाढ्य ने रखा।