उदयपुर। गणिनी आर्यिका सौभाग्यमति माताजी ने कहा कि दुनिया में दुख और सुख दोनों तरह के होते है। दुख तन, मन एवं धन तीन तरह के होते है।
वे आज हिरणमगरी से. 5 स्थित चन्द्रप्रभु दिगंबर जैन मंदिर मंे आयोजित धर्मसभा को संबोधित कर रही थी। उन्होंने कहा कि दुनिया में कोई शारीरिक रोगों से, तो कोई मानसिक रोग एवं तो कोई धन की अधिकता या कमी से दुखी है। जिसको शरीर का रोग है, वह उपकार करते हुए औषधि, दवाई का जिन साधु-सन्त बीमार लोग है, उनकी सहायता करनी चाहिये।
उन्होंने कहा कि जो धन क अधिकता से दुखी है वह गरीबों को धन का दान कर उनकी आवश्यकता की पूर्ति करनी चाहिये और रोगी को दवा और गरीब को धन का दान करने से मनुष्य मानसिक रूप से सुखी रहता है। महामंत्री बदामीलाल वगेरिया ने बताया कि गुरू मां के सानिध्य में श्रावकों को ग्रीष्मकालीन वाचना हो रही है। प्रतिदिन प्रातः साढ़े सात बजे पंचामृत जिनाभिषेक एवं सांय साढ़े सात बजे आनन्द यात्रा का आयोजन किया जा रहा है।