उदयपुर. शहर विधायक एवं पूर्व गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया ने कहा की वर्ष १९६२ में सुखाडिया जी द्वारा उदयपुर के लिए बनाई गयी देवास योजना के तहत गोराणा, देवास के चारों चरण पुरे होने थे. उस समय उनकी सोच इतनी बड़ी थी की जो २००० एम सी एफ टी पानी अरब सागर में जा रहा है, इस योजना से उसे रोक कर उदयपुर ले जाया जाये. वे शनिवार को पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे. उन्होंने कहा की वर्ष १९७१ में जब मेरा राजनितिक जीवन शुरू हुआ तब राजनितिक कारणों से उक्त योजना खटाई में पड़ गयी. जब हमने इस योजना को देखा तो देवास से यहाँ तक पानी लाने के लिए बिजली का इस्तेमाल करना पड़ रहा था. हमारा मकसद था की यह पानी ग्रेविटी से लाया जाए. वर्ष २००६ में इसका प्रावधान हुआ. २००९ में बजट आया तब देवास के लिए कोई बजट ही नहीं था. फिर अरविन्द सिंह मेवाड़, चैम्बर सहित कई अन्य संगठनों के पदाधिकारियों के साथ वे मुख्यमंत्री से मिले और उन्हें योजना की जरुरत बताई. उस समय उदयपुर में हाई कोर्ट आंदोलन भी चल रहा था. देवास के लिए भाजपा ने धरने दिए, एक लाख लोगों से हस्ताक्षर करवाकर ज्ञापन भेजा गया. उन्होंने दावा किया की यह पहली योजना है जो बिना किसी घटना-दुर्घटना के पूरी हो गयी. कुछ समय पहले सुरंग खोदते समय हिमाचल प्रदेश का श्रमिक नारायण जरूर फंस गया था लेकिन उसे भी मेहनत करके निकल लिया गया. उदयपुर को करीब ८०० एम सी एफ टी पानी चाहिए. इसमें ४००-५०० एम सी एफ टी पानी इस सुरंग के माध्यम से आएगा. बाकी ३०० एम सी एफ टी पानी बारिश व् अन्य संसाधनों से एकत्र होगा. उन्होंने कहा कि ग्रामीण विधायक सज्जन कटारा ने तो सदन में इस योजना को लेकर कहा कि यदि यह योजना पूरी हुई तो आसा पास के गाँवों का जल स्तर उतर जायेगा. आयड़ के सौन्दर्यीकरण को लेकर कटारिया ने कहा कि मैं तकनीकी आदम नहीं लेकिन, मेरा मानना है कि यदि आयड़ के दोनों और काले किवाड लगा दिए जाएँ. जब पानी आये तो गाते खोल कर पानी निकाला जाये वर्ना पानी यहीं रुका रहे तो यहाँ बोटिंग भी कि जा सकेगी.