उदयपुर udaipur. शरद पूर्णिमा पर मंगलवार रात चाँद ने श्वेत आभा में अपनी चमक जैसे ही बिखेरी, महिलाओं की बांछे खिल उठी. इस अवसर पर महिलाओं ने चाँद की पूजा की. खीर व चपड़े का प्रसाद बनाकर भोग लगाया गया. जगदीश मंदिर में भगवान जगदीश को श्वेत श्रृंगार धराया गया. मंदिर में भजन संध्या भी हुई. श्रद्धालुओं ने भजन-कीर्तन किये. भगवान के दर्शन के लिए श्रद्धालु कतार लगा कर खड़े रहे. चाँ
द की सोलह कलाओं से संपन्न था.
कहा जाता है कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने जब अपनी बांसुरी की तान छेड़ी तो सभी लगभग १६ हज़ार कोपियाँ मुग्ध होकर वृन्दावन में आ गई. श्रीमदभागवत में उल्लेख है कि इस दिन रासपन्चाध्यायी का पाठ होता है. इस दिन से शरद ऋतु का आगाज़ भी माना जाता है. यह समशीतोष्ण मौसम कहलाता है. चन्द्रमा की रोशनी में भगवान को स्थापित किया जाता है. फिर उस चांदनी में खीर रखी जाती है जिससे उसमें अमृत का संचार होता है. शरद पूर्णिमा के चाँद की रोशनी में दवाओं खासकर दमे की दवा भी खीर में मिलाकर पीने से जल्दी असर होने की बात कही गई है.
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