तलाश है जो उन्हें पढ़ा सके
उदयपुर. अब मूक-बधिर बच्चे इंजिनीयर बनेंगे. यह हौसला दिखाया है घाटोल (बांसवाडा) निवासी नितेश और मेनार हाल उदयपुर निवासी प्रकाश ने. दोनों जन्म से ही मूक-बधिर (deaf and dumb) हैं. दोनों पढ़ने में बहुत होशियार हैं. इन्हें विद्या भवन पॉलीटेक्निक महाविद्यालय में प्रवेश दिया गया है. महाविद्यालय के प्राचार्य अनिल मेहता ने बताया कि दोनों बच्चे दसवीं में भी काफी अच्छे नंबरों से पास हुए हैं. दोनों बच्चों ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से भी गुहार की थी कि उन्हें इंजिनीयरिंग में प्रवेश दिया जाये.
मेहता ने बताया कि सामने वाले के होठ को पढ़कर या अंदाजा लगा लेते हैं कि उन्होंने क्या कहा, इसलिए पढाने में किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होगी. गत तीन-चार दिन से उनके साथ अध्ययन कर रहे हैं, जिसमें ऐसी कोई दिक्कत नहीं आई. नितेश की माँ का देहांत उसके ३ वर्ष की उम्र में हो गया था. वह यहाँ अखबार बेचता है लेकिन अब वह अखबार नहीं बेच सकेगा क्यूंकि उसे पढाई में काफी मेहनत करनी होगी. उसके पिता को उस पर काफी गर्व है. फिलहाल उन्होंने उसकी फीस जमा करा दी है लेकिन हमारी उम्मीद है कि अगर कोई दानदाता मिल जाये ताकि उस पर भार नहीं पड़े. इसीलिए उसे हमने यहाँ होस्टल में रखा है जबकि प्रकाश यहीं का निवासी है. उन्होंने बताया कि यह राजस्थान का पहला उदाहरण होगा जब दोनों मूक-बधिर इंजिनीयर बनेंगे. प्रकाश अभी से ही ऑटोमोबाइल और मोबाइल आइटम्स ठीक कर लेता है. उसका इलेक्ट्रीकल तथा नितेश का रुझान सिविल में है. उन्होंने कहा कि हालांकि हमें भी काफी मेहनत करनी होगी लेकिन अगर ये बच्चे सफलता पूर्वक इंजिनीयर बन जाते हैं तो हमारे लिए यह बहुत बड़ी उपलब्धि होगी. साथ ही हमारा आग्रह है कि अगर इन्हें पढाने के लिए कोई मानद सेवाएं दे सके तो उनके भविष्य के लिए काफी अच्छा रहेगा.