udaipur. नाटक यथार्थ नहीं वरन् यथार्थ का आभास कराता है। यह कार्य नाटक में अभिनेता ही करता है. ये विचार माणिक्यलाल वर्मा श्रमजीवी महाविद्यालय के हिन्दी विभाग द्वारा आयोजित नाटक पाठ एवं प्रदर्शन विषयक विस्तार व्याख्यान कार्यक्रम के दौरान वल्लभ विद्यापीठ आनन्द (गुजरात) के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष प्रो. नवनीत चौहान ने व्यक्त किए। उन्होने हिन्दी नाटक की विकास यात्रा पर प्रकाश डालते हुए संस्कृत साहित्य से लेकर पारसी रंगमंच तक के प्रभावों की चर्चा करते हुए हिन्दी नाटक साहित्य की दशा और दिशा को धारदार अभिनय कौशल से प्रस्तुत किया। मुख्य अतिथि हिन्दी विभाग की पूर्व अध्यक्ष डॉ. प्रभारानी गुप्ता ने साधारणीकरण को नाटक की कसौटी मानते हुए वर्तमान नाट्य क्षेत्र की चुनौतियों की ओर संकेत दिया.
प्राचार्य प्रो. हेमेन्द्र चण्डालिया ने बताया कि नाट्य विद्या को समाज साहित्यिक विद्याओं में सर्वश्रेष्ठ बताते हुए महाविद्यालय के विद्यार्थियेां मंा नाट्य रूचि विकसित करने के लिए इस प्रकार के कार्यक्रमों को करने सतत् रूप से करने का संकल्प लिया.
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