रसीलो गुजरात की झलक भवाई ने रंग जमाया
प्राचीन व अर्वाचीन गरबा पर झूमे लोग
मेर रास की सुरम्य प्रस्तुति
udaipur. पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित दस दिवसीय शिल्पग्राम उत्सव—2011 में शनिवार की शाम पड़ोसी राज्य गुजरात को समर्पित रही। इस अवसर पर रंगीलो व रसीलो गुजरात का रंग मंच पर सतरंगी छटा बिखेरता नजर आया। इस अवसर पर गुजराती संस्कृति का प्रतीक गरबा के के दो रूप तथा आदिम संस्कृति को दर्शाता डांगी नृत्य व गुजराती भवाई ने दर्शकों को गुजरात की लखूटी संस्कृति से रूबरू करवाया।
रंगमंचीय कार्यक्रम की शुरूआत केरल के तिरूवातिरा से हुई इसके बाद महाराष्ट्र के आदिवासी कलाकारों ने सौंगी मुखवटे से दर्शकों को आल्हादित कर दिया। रंगमंच पर रजत जयन्ती वर्ष में उत्सव में विशेष रूप से मनाये जा रहे राज्य दिवसों की श्रंखला में शनिवार को गुजरात दिवस की शुरूआत अर्वाचीन गरबा से हुई। गुजरात सरकार के युवक सेवा एवं सांस्कृतिक प्रवृत्ति विभाग की ओर से प्रेषित दल की गुजराती बालाओं ने शीश पर पीतल के बेड़े धारण किये गुजराती बालाओं ने अपने मंथर थिरकन से दर्शकों पर देवी उपासना के रंग से सराबोर कर दिया।
सौराष्ट्र के नर्तकों ने मेर रास की सुरम्य प्रस्तुति से अपने अंचल की छाप छोड़ी। श्वेत केडिय़ा व चोरणी व शीश पर फैंटा धारण किये नर्तकों ने तेज गति से अपने नर्तन और आपसी सामंजस्य से दर्शकों को अभिभूत कर दिया। इसके बाद गुजारत के बहुरूपी कलाकारों ने मंच पर अपनी कला दिखाई। कार्यक्रम में गुजरात के डांग जिले के डांगी आदिवासियों का डांगी नृत्य लोमहर्षक प्रस्तुति रही। जिसमें आदिवासी लडक़े लडकियों ने शहनाई व ढोलकी पर तीव्र गति से गोलाकार में घूमते हुए पिरामिड बनाया व आकर्षक संरचानाएं रची। अर्वाचीन गरबा में की प्रस्तुति ने दर्शकों का मन मोह लिया। इस प्रस्तुति को खूबसूरती के साथ कोरियोग्राफ किया गया था। गुजराती भवाई दर्शकों के लिये एक नूतन अनुभूति बन सकी। लोक वाद्य भूंगल व ढोल की थाप पर कलाकार ने इडोणी में आग लगा कर करतब का प्रदर्शन किया। इससे पहले गाजी खां मांगणियार ने लोकगीत हिचकी व लहरिया पेश कर दर्शकों की दाद बटोरी।
खरीदारी ने पकड़ी रफ्तार
हाट बाजार में लोगों की आवक में अच्छा इजाफा हुआ वहीं लोगों ने जमकर खरीदारी की। शिल्पकारों को कलात्मक उत्पादों के विक्रय के लिये बाजार उपलब्ध करवाने तथा शिल्पकला को आम जनता तक पहुंचाने के उद्देश्य से आयोजित उत्सव के चौथे दिन दोपहर से ही बड़ी संख्या में लोग शिल्पग्राम पहुंचना शुरू हो गए तथा शाम तक हाट बाजार में लोगों की रौनक बढ़ गई। हाट बाजार में लोगों ने तीर कमान, पत्थर की मूर्तियाँ, कश्मीरी शॉल, नमदे के बने पायदान, कम्पास, दूरबीन, जूट के बैग्स, जूट के कलात्मक नमूने, कॉटन शर्ट्स, लैदर के बने पर्स, बेल्ट, जैकेट, बाड़मेरी पट्टू, कच्छ के वूलन शॉल, कश्मीर के ऊनी शॉल, मफलर, मिट्टी के कलात्मक पॉट्स, इत्र, मधुबनी पेन्टिंग्स, मिनियेचर पेन्टिंग्स, बर्ड्स आदि खरीदे। मेले में ही मशक वादको ने मशक वादन से लोगों का ध्यान खींचा वहीं बाँस पर चलते बाजीगर से लोग हंसी मजाक करते नजर आये। मेले में ही बहुरूपिया कलाकारों ने लोगों का खासा मनोरंजन भी किया। मेले में ही लोगों ने कला निवास के समीप बैठे कलाकार से अपना स्कैच बनवाया। इस दौरान चित्रकार जहां तल्लीनता से चित्रांकन कर रहा था वहीं आवक्ष बनाने वाले हंसी ठठ्ठा करते नजर आये। मेले में ही लोक प्रस्तुतियों को देखने के लिये विभिन्न चोपालों पर लोगों का हूजूम सा एकत्र हो गया वहीं खान—पान के स्टॉल्स पर चटखारे लेते लोग देखे गये। मेले में की मक्की की पापड़ी, सरसों की साग, बाजरे की रोटी, ढोकलों तथा मक्का की राब का लोगों ने धूप में बैठ कर रसास्वादन किया। बाड़मेर के लोक गायक गाजी खां मांगणियार ने मेले में जब अपने गीत गाये तो कई आगंतुक थिरक पड़े।
संगम में लगी प्रदर्शनी को निहारा व सराहा
शिल्पग्राम के दर्पण सभागार में चित्र प्रदर्शनी का आयोजन लोगों के आकर्षण का केन्द्र बनी हुई है। मेले में आने वाला व्यक्ति इस प्रदर्शनी को निहारने अवश्य जाता है। प्रदर्शनी में शताधिक कृतियाँ दर्शाई गई हैं इन कृतियों का सृजन केन्द्र द्वारा वर्ष में आयोजित विभिन्न कार्यशालाओं में तैयार कृतियाँ प्रदर्शित की गई हैं इनमें सृजनोदय गोवा, सृजनोदय गुजरात, मल्टीमीडिया कैम्प, चित्रांकन गोवा, स्कल्पचर कैम्प अहमदाबाद उल्लेखनीय है। स्कल्पचर कैम्प में फाइबर से बनी मानवाकृतियाँ लोगों के आकर्षण का केन्द्र बनी हुई हैं। राजस्थानी व राजसी लिबास व भाव प्रवणता वाली इन मूर्तियों के हाथों में बाकायदा तलवार व भाले दिये गये हैं। प्रदर्शनी में ही हाल ही में शिल्पग्राम में मुंबई के सुप्रसिद्ध छायाकार शिरीश आर. कराले के सानिध्य में हुई फोटोग्राफी कार्यशाला के छाया चित्र लोगों का ध्यान खींच रहे हैं। प्रदर्शनी आने वाले लोग इन कृतियों को अपने कैमरों में भी कैद करते नजर आये।
रविवार को ‘राजस्थान दिवस’
पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित दस दिवसीय शिल्पग्राम उत्सव के पांचवे दिन रविवार को ‘‘राजस्थान दिवस’’ के आयोजन होंगे।