पाशा दल की रामायण ने दिल को छूआ
सिद्द धमाल व छाऊ ने मचाई धमाल
udaipur. पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से हवाला गांव में आयोजित दस दिवसीय शिल्पग्राम उत्सव—2011 में बुधवार को ‘‘सप्तरंग’’ का आयोजन हुआ जिसमें कला प्रेमियों को विभिन्न राज्यों की लोक कलाओं की इंद्रधनुषी छटा देखने को मिली वहीं एबिलिटी अन लिमिटेड फाउण्डेशन के कलाकारों की प्रस्तुतियों में रामायण का मंचन दर्शकों के लिये हृदय स्पर्शी पेशकश बन गया। कलाओं में गुजरात के सिद्दि कलाकारों ने अपनी थिरकन से दर्शकों को उन्मादित कर दिया वहीं असम के कलाकारों ने बिहू नृत्य में युवा प्रमियों के उल्लाअसित भावनाओं का प्रदर्शन किया।
मुक्ताकाशी रंगमंच ‘‘कलांगन’’ पर कार्यक्रम की शुरूआत राजस्थान के लोक नाट्य कुचामणी ख्याल ‘‘राजा हरिश्चन्द्र’’ से हुई इसके बाद पश्चिम बंगाल पुरूलिया के गौर कुमार व उनके साथियों ने पुरूलिया छाऊ में रामायण का ताडक़ा वध प्रसंग दर्शाया जिसमें विश्वामित्र को परेशान करने वाली ताडक़ा का भगवान श्रीराम व लक्ष्मण द्वारा वध किया जाता है। कार्यक्रम में दिल्ली के गुरू सैयद सलाउद्दीन पाशा व उनके विशेष बालकों ने व्हील चेयर पर प्रस्तुति दी जिसमें उन्होंने रामायण के संक्षिप्तद वर्जन मंचन बखूबी से किया। प्रस्तुति में बालकों ने शूपर्णखा वध, रावण का सीता हरण, अशोक वाटिका में सीता को राक्षसियों द्वारा सताना, राम-रावण युद्ध आदि प्रसंगों का चित्रण उत्कृष्ट ढंग से किया प्रस्तुति में ध्वनि व प्रकाश संयोजन श्रेष्ठ बन सका।
पाशा व उनके दल ने टैगोर की एक रचना पेश की। इसके बाद बालकों ने व्हील चेयर पर ऑस्कर पुरस्कार जीत चुके ए. आर. रहमान के लोकप्रिय गीत ‘‘जय हो….’’ प्रस्तुत कर देशभक्ति की भावाना को जागृत करने का प्रयास किया। विशेष बालकों ने बाद में ‘‘वंदे मातरम् भी पेश कर दर्शकों की वाहवाही लूटी। प्रस्तुतियों में व्हील चेयर की स्पिन व भाव पक्ष अत्यंत प्रबल बन सका।
गुजरात के अफ्रीकी मूल के सिद्दि कलाकारों द्वारा सिर से नारियल फोडऩे करतब श्रेष्ठ बन सके, वहीं आसाम के युगलों ने पेपा व गोगोना के साथ ढोलक की थाप पर बिहू प्रस्तुत कर युवा मन को आल्हादित सा कर दिया। नृत्य के दौरान हाथ में टोकरियां लेकर नृत्य करने पर मनोरम छटा उभरकर आई। कार्यक्रम में इसके अलावा लावणी, मांगणियारों का गायन, भांगड़ा की प्रस्तुति को दर्शकों द्वारा भरपूर सराहा गया।
कलात्मकता की तलाश जारी
लोग कलात्मकता से खुद को एवं अपने घर को सजाने व संवारने की चाह में मित्रों व परिजनों सहित शिल्पग्राम पहुंच रहे हैं तथा हाट बाजार में शिल्पकारों से मोलभाव कर कुछ ना कुछ अवश्य ले कर जा रहे हैं। हाट बाजार की विविधा में लोगों ने दीवार को सजाने के लिये महाराष्ट्र की वारली चित्रकारी, पेपर मेशी की बनी मूर्तियां, फूलदान, मिजोरम के ड्राई फ्लॉवर, कपड़े के पारंपरिक खिलौने व कठपुतलियाँ, पीतल की बनी कलात्मक मूर्तियां, पारंपरिक चित्रकारी, खुर्जा शिल्प के बने कलात्मक फूलदान, पैन स्टेण्ड, बांस की सजावटी वस्तुएँ जिसमें पेन स्टेण्ड, फूलदान, डेकोरेटिव वॉल पीस व हैंगिंग्स, वूलन कारपेट, कपड़े पर कशीदा युक्त वॉल पीस, पुराना ग्रामोंफोन, टेलिफोन, दूरबीन, बेडशीट, बेड कवर, लकड़ी व बांस के सोफा सेट, गार्डन चेयर, कॉर्नर ब्रैकेट, कलात्मक लैम्प उल्लेखनीय है।
गाडिय़ा लोहार ने पकड़े नये आयाम
गाडुलिया लोहारों ने अपनी पुश्तैनी तकनीक को बरकरार रखते हुए नये नये उत्पाद बनाना प्रारम्भ कर दिया है जो शिल्पग्राम में आने वाले लोगों को अपने हूनर से आकर्षित कर रहे हैं। शिल्पग्राम की ढोल झोंपड़ी के पास मामा देव के देवरे के ठीक सामने आग में लोहा तपाते व पीटते उदयपुर के निकटवर्ती गांव फेणियों का गुड़ा के लोहार लोगर लाल तथा अलवर के हनुमान सिंह अब पारंपरिक खेती के औजारों के साथ आज के युग में काम आने वाली चीजों व सजावटी चीजों को बनाना प्रारम्भ कर दिया है। हाट बाजार में बैठे दानों लोहारों के सामने लोहे की चमचमाती कड़ाहियाँ लोगों को नजर आती है तो लोग मोल भाव करने लगते हैं। इसमें भी छोटे परिवार की जरूरत के मुताबिक जलेबी बनाने तथा सब्जी बनाने व खाद्य वस्तुएं तलने के लिये छोटे आकार की कड़ाईयां बनाई है। लोगर लाल के पास लोहे का खूंट व खेती के ऑजार नजर आते हैं। अलवर के हनुमान ने लोहे से छोटे आकार की मक्खियां, बैलगाड़ी व अन्य सजावटी वस्तुएं बनाना प्रारम्भ कर दिया है।
पद्मभूषण तीजन बाई का पण्डवानी गायन गुरुवार को
नवें दिन उत्सव में ‘‘धरोहर’’ विशेष संध्या का आयोजन होगा। प्रख्यात पण्डवानी गायिका पद्मभूषण तीजनबाई का पण्डवानी गायन प्रमुख आकर्षण होगा।