श्रीराम कथा में श्रीराम जन्म प्रसंग पर श्रद्धालु भावविह्वल
Udaipur. महाकालेश्वर मन्दिर प्रांगण में श्री दक्षिण मुखि श्री मंशापूर्ण हनुमान मन्दिर प्रांगण में श्री राम भक्त उपासक मण्डहल की ओर से आयोजित श्रीराम कथा में नौ वर्षीय बाल सन्त प्रियांशु महाराज ने श्रीराम जन्म कथा का ऐसा मार्मिक चित्रण किया कि हर श्रद्धालु भावविभोर होकर भक्ति में लीन नृत्य में डूब गया।
कथा के दौरान बाल सन्त ने अपनी वाणी के शब्दों से ऐसा समां बांधा जैसे श्रद्धालु स्वयं अयोध्या नगरी में हों और श्रीराम का जन्म उनके सामने ही हो रहा हो। व्यास पीठ के नीचे श्रीराम झूला लगाया गया जिसमें श्रीराम के जन्म को जीवन्त बनाने के लिए एक बालक को राम का रूप धराकर उसमें सुलाया गया। यह दृश्य इतना कारूणिक और मार्मिक बन गया कि कई महिला-पुरूष श्रद्धालुओं की आंखें छलछला गई। महामण्डलेश्वर गंगादास बापू ने प्रभु श्रीराम के जन्म की खूब बधाईयां बांटी।
अवसर पर बाल सन्त प्रियांशु महाराज ने श्रीराम जन्म के पृथ्वी पर जन्म लेने के कारण बताते हुए कहा कि जब असुर लोग पृथ्वी प्रकृति और पर्यावरण के साथ विनाशकारी खेल खेलने लगते हैं तब इस सृष्टि का सन्तुलन बनाये रखने के लिए भगवान श्रीराम जैसे परमात्मा का जन्म होता है। राम वह जो सर्वशक्तिमान, सर्वात्मा जो निराकार होकर भी भक्तों के बस में होकर साकार हो जाता हैं। जब धरतीमाता, गौमाता दु:खी होकर आर्त भाव से प्रभु को पुकारती है तब वह करूणा के सागर इस धरती को पवित्र करने के लिए अवतार लेते हैं।
महाराज ने कहा कि इस दुनिया में कौन है जो यह दावा करता है कि वह पूर्ण रूप से सुखी है। गरीब हो या अमीर थोड़े-थोड़े सभी दुखी हैं। इस दुनिया में अगर कोई सुखी है तो वह है राम के दास। जो प्रभु की भक्ति में हैं और भगवान श्रीराम के चरणों में रहते हैं।
महाराज ने कहा कि आज लोग धरती का सौन्दर्य बिगाड़ रहे हैं। वृक्ष धरती मां का श्रृंगार हैं, और किसी भी पुत्र को अपनी मां का श्रृंगार नष्ट करने की इजाजत नहीं है। महाराज ने अपील की कि मां के श्रृंगार को हमेशा बढ़ाने के लिए खूब पौधे लगाओ। उन्होंने कहा मनुष्य जीवन लेकर जिस पुत्र ने धरती मां का श्रृंगार नहीं करवाया उसे मां का अभिशाप झेलना ही पड़ता है।
महाराज ने कहा कि नौमीं (नवमीं) तिथि को प्रभु श्रीराम प्रकट हुए हैं इसीलिए दुनिया में नौ अकं का बड़ा महत्व है। मण्डल के दुर्गेश शर्मा व प्रवीण शर्मा ने बताया कि कथा स्थल पर रोजाना सन्त समागम हो रहा है। सोमवार को सन्तश्र दयाल भारती महाराज, सन्तश्री बद्री प्रसाद जी महाराज मुख्य रूप से उपस्थित हुए। व्यासपीठ की पूजा-अर्चना सन्तों व नरेश मोगरा, नरेश भाणावत तथा अलवर से आये प्यारेलाल शर्मा ने की।
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