शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका व पर्यावरण संरक्षण पर होगा कार्य
udaipur. दक्षिणी राजस्थान के समग्र विकास के लिए प्रवासी भारतीयों की मदद व सहभागिता से प्रयास प्रारम्भ किए जायेंगे. दक्षिणी राजस्थान में कार्य कर रही स्वैच्छिक संस्थाए, वैज्ञानिक, उद्योगपति, शिक्षा विद व जिम्मेदार नागरिक मिलकर ‘‘मेवाड़ डवलपमेन्ट को एलेशन’’ का गठन करेंगें।
यह अनुशंसा शनिवार को विद्या भवन पोलीटेक्निक सभागार में इण्डिया डवलमेन्ट ऑफ अमेरिका फाउन्डेशन फोर सस्टेनेबल डवलपमेन्ट, डॉ. मोहनसिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट विद्या भवन पोलीटेक्निक के तत्वावधान में ‘‘दक्षिणी राजस्थान का समग्र विकास गरीबी उन्मूलन तथा पर्यावरणीय संरक्षण पर आयोजित एक दिवसीय कॉन्फरेंस में उभरी।
उद्घाटन सत्र में पूर्व विदेश सचिव जगत मेहता, अतिरिक्त आबकारी आयुक्त सुमतिलाल बोहरा, विद्याभवन के अध्यक्ष रियाज तहसीन, ट्रस्ट के अध्यक्ष विजय एस मेहता, आईडीसीए के समन्वयक प्रवासी भारतीय डॉ. मोहन लाल जैन, ग्रामीण अनुसंधान संस्थान गुडग़ांव की निदेशक पूजा मोराड़ा ने कहा कि सादा जीवन, प्रकृति केन्द्रित विकास तथा जिम्मेदार नागरिकता से ही दक्षिणी राजस्थान की स्थिति समृद्ध बनेगी.
ग्रामीण व शहरी विकास सत्र में ब्रिटेन की इसा बेल विद्या भवन पंचायती राज संस्थान के उपनिदेशक एच आर भाटी, अलर्ट संस्थान के निदेशक बी. के. गुप्ता ने कहा कि गांवों में शिक्षा, स्वास्थ्य व रोजगार की संभावनाएं बढ़ानी होगी ताकि गांवों से पलायन रूके।
जल व स्वच्छता विषयक सत्र में झील संरक्षण समिति के डॉ. तेज राजदान, अनिल मेहता, एडवोकेट मन्नाराम डांगी, सोना इन्जीनियर्स के निदेशक के.पी. सिंह, वर्षा जल संरक्षण मित्र पी.सी. जैन, भूजल वैज्ञानिक डॉ. जे.सी. दुबे ने कहा कि दक्षिणी राजस्थान के गांवों में कुओं की स्थिति में सुधार, गन्दे पानी के उपचार की इको तकनीकी किया स्थापित करनी होगी। सभी ने एक स्वर में सरकार से मांग की कि वर्षा जल संरक्षण करने वाले लोगों को सरकार सब्सिडी मिलनी चाहिए।
शिक्षा एवं आजीविका विकास सर्व में यूसीसी आई के पूर्व अध्यक्ष के.एस. मोगरा, राजस्थान चैम्बर ऑफ कोमर्स एण्ड इण्डस्ट्री के उपाध्यक्ष रमेश चौधरी, विद्या भवन शिक्षा सन्दर्भ केन्द्र के प्रसुन कुमार, सेवा मन्दिर के शैलेन्द्र तिवारी ने कहा कि वन उपज, कृषि पैदावर इत्यादि में ‘वेल्यू एडीशन’ कर तथा ऑपचारिक शिक्षा व हुनर सिखाने वाली शिक्षा के समन्वय से ही आजीविका बढेगी समापन सत्र को सम्बोन्धित करते हुए डॉ. अरूण जकारिया ने कहा कि शिक्षा, विकास गरीबी उन्मुलन व पर्यावरणीय नीतियों पर पुन: विचार की जरूरत है।
कार्यशाला में आये संभागियों व अतिथियों का स्वागत एवं सत्रों का संचालन व संयोजन ट्रस्ट के सचिव नन्द किशोर शर्मा ने किया। फाउन्डेशन फोर सस्टेनेबल डवलपमेन्ट की निदेशक रोमा भारद्वाज ने धन्यवाद दिया।