राजमहल में बही भारतीय शास्त्रीय संगीत सरिता
udaipur. महाराणा मेवाड़ चेरिटेबल फाउण्डेशन उदयपुर द्वारा रविवार को आयोजित किए जाने वाले 31वें वार्षिक सम्मान समर्पण समारोह की पूर्व संध्या पर शनिवार को सिटी पैलेस के माणक चौक में भारतीय शास्त्रीय संगीत संध्या का आयोजन किया गया। इस संगीत संध्या में फाउण्डेशन द्वारा डागर घराने से सम्मानित किए जाने वाले पंडित चिरंजीलाल तंवर ने प्रस्तुतियां दी।
पंडित चिरंजीलाल ने सर्वप्रथम राग खमाज़ में ठुमरी प्रस्तुत की जिसके बोल थे ‘सांवरे सलौने से लागे मोरे नैन’। यह ताल दीपचन्दी में निबद्ध थी। दूसरी प्रस्तुति मांड में ‘केसरिया बालम’ थी। संगतकार उस्ताद मोइनुद्दीन खां सारंगी पर, तबले पर उस्ताद ज$फर मोहम्मद तथा तानपुरे पर उदयपुर के ओम टांक तथा सम्पा सरकार ने संगत की।
इससे पूर्व महाराणा मेवाड़ पब्लिक स्कूल के करीब 30 विद्यार्थियों ने स्कूल आर्केस्ट्रा के तहत सामूहिक सितार वादन किया। सर्वप्रथम संगीत गुरूओं के निर्देशन में विद्यार्थियों ने राग मिश्र पहाड़ी, मिश्र खमाज़ तथार राग देश के अलावा मांड पर आधारित कार्यक्रम पेश किया। सितार वादन के साथ छात्रों ने तबले पर भी संगत कर माहौल को मधुर लहरियों से लबरेज कर दिया। इस कार्यक्रम में महाराणा मेवाड़ पब्लिक स्कूल के कक्षा 6 से कक्षा 9 तक के विद्यार्थियों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया।
समारोह में आमंत्रित अतिथियों के अतिरिक्त महाराणा मेवाड़ चेरिटेबल फाउण्डेशन उदयपुर के अध्यक्ष एवं प्रबंध न्यासी श्रीजी अरविंद सिंह मेवाड़, विजयराज कुमारी मेवाड़, लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ तथा पद्मजा कुमारी मेवाड़ सहित विदेशी मेहमान भी उपस्थित थे। संगीत संध्या से पूर्व पद्मजा कुमारी मेवाड़ ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन किया। अंत में श्रीजी अरविंद सिंह मेवाड़ ने पंडित चिरंजीलाल तंवर एवं अन्य कलाकारों को सरोपाव भेंट कर सम्मानित किया। कार्यक्रम का संचालन गोपाल सोनी एवं रूपा चक्रवर्ती ने किया।