udaipur. गोर गोर गोमती, ईसर पूजे पारबती… जैसे भजन अब शुरू हो जाएंगे। घरों में कथा श्रवण शुरू हो जाएगा। गणगौर के तहत ईसरजी के साथ कानूडे़ की भी पूजा की जाएगी। शीतला अष्ट मी पर गुरुवार को महिलाएं गणगौर अपने घर ले गईं। कई नन्हीं। बालिकाएं भी छोटी गणगौर को घर ले गईं।
मेवाड़ एकमात्र स्थान है जहां ईसरजी के साथ कानूडे़ (बाल भाव में श्रीकृष्ण) की भी पूजा की जाती है। 17 मार्च को दशामाता की कथा सुनकर पीपल और पथवारी की पूजा की जाएगी। इसके बाद चैत्र शुक्ल षष्ठी 7 को गणगौर को विसर्जित किया जाएगा। इससे पहले चैत्र शुक्ल। तृतीया को गुलाबी, फिर पीली और अगले दिन हरी गणगौर का पर्व मनाया जाएगा।
इससे पूर्व मेवाड़ में शीतला अष्टमी की पूजा की जाती है इसलिए गुरुवार को कई घरों में अष्ट मी पूजी गई। इस दिन शीतला माताजी की पूजा कर घरों में ठण्डा खाना खाया गया। कई जगह सप्तमी की पूजा की जाती है।
शीतला अष्टमी पर गुरूवार को जहां शीतला माता की पूजा की गई वहीं छोटी गणगौर का मेला भी लगा। सिटी पैलेस से पारंपरिक रूप से लवाजमा शीतला माता मंदिर पहुंचा तथा विधिवत पूजा-अर्चना कर नैवेद्य चढ़ाया गया। परंपरानुसार सिटी पैलेस से लवाजमा जिसमें सुसज्जित घोड़े, नगाड़ची, सुरक्षाकर्मियों की परेड के साथ माताजी के गीत गाती महिलाएं एवं पुरोहित थे, बैंड की धुन के साथ त्रिपोलिया से शीतलामाता मंदिर पहुंचे तथा वहां पुरोहितों ने माताजी की पूजा-अर्चना कर उन्हें नैवेद्य चढ़ाया।