चार दिवसीय कार्यक्रमों से झीलों की नगरी में संस्कृति अनुष्ठानों की धूम
रंगीन आतिशबाजी, चेतना यात्रा, सप्तरंग—सप्तस्वर व विभिन्न कार्यक्रम
udaipur. हिन्दू नववर्ष नवसंवत्सतर का स्वा गत अखिल भारतीय नववर्ष समारोह समिति, नगर परिषद् उदयपुर एवं आलोक संस्थान के तत्वावधान में धूमधाम से होगा। इसके लिए व्यापक तैयारियां की जा रही है। पहले दिन 20 मार्च को पधारजो सा (जनता को नूतने का अनूठा आयोजन) कार्यक्रम होगा। जनता को न्योता देने के लिए नगर के विभिन्न स्थानों पर छात्रों द्वारा लघु नाटकों का प्रस्तुतिकरण कर पधारजो सा निमंत्रण देंगे। तथा जहाँ नुक्कड़ नाटक होगा वहाँ आस—पास के क्षेत्रों में पीले चावल वितरित करेंगे।
समिति के राष्ट्रीय सचिव डॉ. प्रदीप कुमावत ने पत्रकारों से बातचीत में बताया कि 20 मार्च को नगर में सुबह 9 बजे से शहर के सभी प्रमुख चौराहों शास्त्री सर्कल, बैंक तिराहा, सब्जी मण्डी, मधुबन, हाथीपोल, आनन्द प्लाजा, सेक्टर 4, मल्लातलाई चौराहा, फतहपुरा चौराहा, फतहसागर, गुलाबबाग पर लोगों को आमंत्रित करने की दृष्टि से किया जाऐगा।
21 मार्च को दूसरे दिन भारतीयम् आलोक ’सप्तरंग—सप्तस्वर‘ भव्य कार्यक्रम नवनिर्मित फतहसागर की पाल (ओवरफ्लो साइड) विभूति पार्क के नजदीक पर आलोक संस्थान के 1200 छात्र—छात्र 16 गीतों पर नोन स्टोप प्रस्तुति देंगे। यह कार्यक्रम शाम 5 बजे होगा। छात्र—छात्राएं राष्ट्रभक्ति से ओत—प्रोत 11 गानों का प्रस्तुतिकरण करेंगे वहीं मेवाड़ और भारतीय संस्कृति की प्रतीक वहाँ विद्युत सजावट के साथ—साथ ‘अपनी पगड़ी सजाओ प्रतियोगिता’’ भी होगी।
इसमें कुल 25 हजार रूपये तक के पुरस्कार वितरित किये जाएँगे। रोटरी क्लब ऑफ उदयपुर इस कार्यक्रम के सह आयोजक के रूप में सम्मिलित रहेंगे जबति भारत विकास परिषद् मेवाड़ भी इसमें सहयोग प्रदान करेंगी। नीमज माता से पवित्र ज्योति लाकर से अग्नि प्रज्जलित कर इस चार दिवसीय महोत्सव का आगाज किया जाएगा। आतिशबाजी और बेलुन का भी प्रदर्शन होगा।
सैनिक दिवस पर सात सैनिकों का सम्मान : सप्तरंग—सप्तस्वर कार्यक्रम के अन्तर्गत सना मं योगदान देने के लिये उदयपुर के 7 सैनिकों का सम्मान किया जाएगा। नशा मुक्ति के खिलाफ संकल्प बैनर पर लोग हस्ताक्षर करेंगे। दीपदान का आयोजन भी फतहसागर किनारे होगा। राष्ट्रीय गीत वन्देमातरम् का सामूहिक गान किया जाएगा।
२२ मार्च को ज्योति कलश संस्कृति चेतना यात्रा
‘ज्योति कलश संस्कृति चेतना यात्रा’’ दो भागों में विभक्त होकर एक यात्रा गणगौर घाट जबकि दूसरी यात्रा श्रीद्वारिकाधीश धाम पहुँचेगी पहुँचेगी। पूरे मार्ग में पडऩे वाले गाँवों, शहरों के लोगों को इससे जोडऩे के लिये प्रयास किये जा रहे है। यात्रा में विशेष उत्तरप्रदेश मुज्जफर नगर से मंगवाये गये कलशों की स्थापना आकर्षण रहेंगी। यात्रा के सम्मानित अतिथि लोकसंत भीमसिंह चौहान, पीठाधीश, अखिल भारतीय कल्लाजी सम्प्रदाय, काली कल्याणधाम, मादड़ी ‘वर्धा’ एवम् लोकसन्त सन्तोषनाथ बालयोगी पीठाधीश अखिल भारतीय नाथ सम्प्रदाय, आइतो की धूणी, बड़ा भाणुजा होंगे।
विदा 2068 : उदयपुर की प्रसिद्व पिछोला झील के किनारे राजघाट (गणगौर घाट) पर विदा 2068 का विशेष आयोजन होगा जहाँ उदयपुर की जनता के लिये वहाँ रंगारंग कार्यक्रमों के साथ ही भव्य आतिशबाजी, दापदान, गंगा आरती व वरूण पूजन भी गणगौर घाट पर किया जाऐगा। नावों में दीप प्रवाह के साथ—साथ ज्योति कलश संस्कृति चेतना यात्रा का वहाँ पहुँचने पर जगदीश चौक पर धूम—धड़ाके के साथ स्वागत करके उसे एक पारम्परिक ढंग से गणगौर घाट पर लाकर उसी पवित्र ज्योति से दीप प्रज्जवलित कर दीप प्रवाहित किये जाएंगे।
स्वागतम् 2069
23 मार्च को सुबह नव सम्वत्सर की वेला में सूर्यदेव को अर्घ्यस दिया जाएगा। जगदीश मंदिर की प्राचीर से प्रात:काल 11 बटुक सूर्यदेव को अर्घ्यग देंगे, वहीं प्रात:काल चौराहों पर आलोक संस्थान के पाँच हजार छात्र—छात्राएँ ध्यानवेश पहनकर सम्पूर्ण उदयपुरवासियों को नव सम्वत्सर की शुभकामनाएँ नीम, मिश्री व काली मिर्च खिलाकर नव सम्वत्सर की शुभकामनाएँ देंगे। साथ ही इस बार इको फ्रेण्डली हल्दी—चंदन युक्त तिलक लगाकर लोगों को नव सम्वत्सर पर पर्यावरण रक्षा का संदेश भी इस माध्यम से देंगे, वहीं नव सम्वत्सर की शुभकामनाओं के स्वागत द्वार व संदेश पत्रक वितरित किए जाएँगे तथा प्रत्येक परिवारजनों से यह निवेदन किया जाएगा कि इस अवसर पर वे सभी अपने—अपने घरों में पाँच दीपक अवश्य जलाएँ यह संदेश भी इस कार्यक्रम के माध्यम से दिया जाएगा।
इस अवसर पर नगर परिषद् उदयपुर सभापति रजनी डांगी ने बताया कि मुख्य आकर्षण वहाँ आतिशबाजी और विद्युत सजावट होगी जिसकी पूरी तैयारी व्यापक स्तर पर की गई है। इससे पहले चैती एकम् की सवारी पाला गणेश जी से निकाली जाएगी जिसमें ढोल, नगाड़े एवम् ज्योति कलश जो एकलिंगजी से लाई गई है वो वहाँ लाकर विसर्जित की जाएगी और इसी अवसर पर महाराजा विक्रमादित्य की आरती एवम् पूजन के साथ नववर्ष के चार दिवसीय समारोह का समापन आतिशबाजी के साथ होगा। सांस्कृतिक समिति अध्यक्ष धनपाल स्वामी व पार्षद कृष्णकान्त कुमावत आदि भी मौजूद थे।