प्रबन्ध प्रक्रियाओं का सतत् विकास : प्रगति एवं पहलु विषयक अन्तरराष्टीय संगोष्ठी
उदयपुर। आईआईएम उदयपुर के निदेशक प्रोफेसर जनत शाह ने कहा कि हमें अपने भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण की अत्यन्त आवश्यकता है। वे शुक्रवार को प्रबन्ध अध्ययन संकाय में दो दिवसीय प्रबन्ध प्रक्रियाओं का सतत् विकास : प्रगति एवं पहलु विषयक दो दिवसीय अन्तरराष्टीय संगोष्ठी के उदघाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे।
विशिष्ट अतिथि के रूप में amity विश्वविद्यालय, jaipur के कुलपति प्रो राजसिंह ने कहा कि आर्थिक स्थिरता के साथ प्राकृतिक संरक्षण को भी देखना होगा। उन्होंने नई तकनीक अपनाने पर जोर दिया। मुख्य वक्ता के रूप में डिस्कवरी चैनल एशिया के क्षेत्रीय निदेशक प्रो. अशोक ओगरा ने अमेरिकी जीवन शैली की आलोचना करते हुए कहा कि एक अमरिकी उपभोक्ता भारतीय उपभोक्ता से30 गुना ज्यादा संसाधनों का उपभोग कर रहा है जबकि भारतीय संस्कृति में प्राकृतिक संरक्षण को भी शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि सन 2050 तक भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व की सबसे बडी अर्थव्यवस्था होगी। उन्होंने कहा कि यह भूमि साझा विरासत के रूप मे स्वीकार की जाने चाहिए। FMS के निदेशक प्रोफेसर पी. के. जैन ने कहा कि प्रबन्ध अध्ययन संकाय के छात्रों को प्रबन्ध शिक्षा के साथ साथ नैतिक मूल्यों का भी समावेश किया गया है। समारोह की अध्यक्षता suvivi कुलपति प्रोफेसर आई. वी. त्रिवेदी ने की। समारोह में सेमिनार के आयोजन सचिव डा. हनुमान प्रसाद ने भी विचार व्यक्त किये।
तकनीकी सत्र दोपहर बाद प्रारंभ हुआ। इस सत्र में मार्केटिंग एवं वित्त विषय पर पत्रवाचन किया गया। वित्त सत्र की अध्यक्षता प्रोफेसर शिवप्रसाद, डीन, इन्दिरा गांधी राष्टीय जनजाति विश्वविद्यालय अमर कंटक ने की एवं मार्केटिंग सत्र की अध्यक्षता पेसिफिक विश्व विद्यालय के प्रो प्रेसीडेंट प्रोफेसर बी. पी. शर्मा ने की। मार्केटिंग सत्र के मुख्य वक्ता डॉ. मनमोहन यादव सह आचार्य, आईआईएफटी भोपाल ने व्यापारिक प्रक्रियाओं के प्रकृति पर दुष्प्रभाव के बारे में चर्चा की।