उदयपुर। कहते हैं कि प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती। पूत के पग तो पालने में ही नजर आ जाते हैं। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है उदयपुर के नन्हें तेरह वर्षीय भुवन शर्मा ने। भुवन को बचपन से ही सुगम और शास्त्रीय संगीत में रुचि थी। आज के इस पोप-रॉक के युग में शास्त्रीय संगीत की ओर लगाव देखकर उसके पिता भी अचंभित थे लेकिन उन्होंने बच्चे की लगन और रुचि को समझा और उसे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। न सिर्फ प्रेरित किया बल्कि उसके लिए हरसंभव सहयोग जुटाया और रास्ता बनाया।
जहां आज के माता-पिता अपने बच्चे को इंजीनियर, डॉक्टर बनाने से कम पर तो तैयार ही नहीं होते, वहीं भुवन के पिता धर्मेश शर्मा उसका उज्वल भविष्य संगीत के क्षेत्र में देखते हैं। उनकी आशाओं पर भुवन भी खरा उतर रहा है और वह इस छोटी सी उम्र में दिल्ली की मुख्यआमंत्री शीला दीक्षित के हाथों सम्मानित हो चुका है।
पेशे से किराना व्यापारी धर्मेश बताते हैं कि भुवन ने अपना रास्ता खुद ही तलाश कर लिया। हमें उसके लिए कुछ करने की जरूरत ही नहीं पड़ी। उसने स्कूल में होने वाली प्रतियोगिताओं में तो अपना स्थान बनाया ही, साथ में मीरा कला मंदिर, संगीत भारती बीकानेर, आगरा में होने वाली भारतीय संगीत प्रतियोगिता में भी अपना उच्च स्थांन बनाया। अपनी पढ़ाई के साथ फिलहाल वह प्रयाग संगीत समिति से चार वर्षीय डिप्लोमा कर रहा है। वह सीपीएस स्कूल के बाद अब महाराणा मेवाड़ विद्या मंदिर में सातवीं कक्षा में पढ़ाई कर रहा है।