’जनजाति पारम्परिक भित्ति चित्रण एवं माण्डणा कला‘ कार्यशाला का समापन
उदयपुर. माणिक्य लाल वर्मा आदिम जाति शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान में त्रिदिवसीय ’’जनजाति पारम्परिक भित्ति चित्रण एवं माण्डणा कला‘‘ पर कार्यशाला का समापन सांसद रघुवीरसिंह मीणा के मुख्य आतिथ्य में हुआ। मीणा ने कहा कि जनजाति कलाओं को संरक्षित करने हेतु जनजाति कलाकारों को परम्परागत भित्ति चित्रण, माण्डणा कलाओं को निरंतर संजाये रखना चाहिये।
कलाकारों की प्रदर्शनी का अवलोकन करते हुए जनजाति कलाकारों को उनकी कलाकृतियों हेतु सराहा और उनका उत्साहवद्र्घन किया। कार्यशाला में बून्दी, बारां, बांसवाडा एवं उदयपुर क्षेत्र के 10 जनजाति कलाकारों ने अपनी पारम्परिक चित्र शैलियों में करीब 30 चित्रकृतियों का निर्माण किया। कार्यशाला के अन्तिम दिन निर्मित कलाकृतियों की प्रदर्शनी लगाई गई जिसमें प्रारंपरिक गोत्रेज, भराडी एवं मांग अवसरों पर जनजातीय घरों में बनाये जाने वाले भित्ति चित्रों का प्रदर्शन किया गया। विशेष उत्सवों पर जनजातीय घरों एवं सामुदायिक स्थानों पर बनाये जाने वाले माण्डणों को भी केनवास, पेपर एवं ड्राईंगशीटों पर कलात्मक ढंग से उकेरा गया।
समापन समारोह में प्रो. विजयसिंह, निदेशक, टीआरआई ने स्वागत उद्बोधन दिया। डॉ. राकेश दशोरा, सह आचार्य ने कार्यशाला का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन उप निदेशक ज्योति मेहता ने दिया।