राजस्थान विद्यापीठ में आईटी के नवीनतम आयामों पर मंथन शुरू
उदयपुर. दस दशक पहले की बात करें तो रेडियो से ब्रोडकास्ट क्रिकेट कमेंट्री आश्चर्य चकित करती थी और वर्तमान में कंप्यूटर इंजीनियरिंग और आईटी के ऐसे नमूने हर रोज प्रस्तुत हो रहे हैं। आईटी सेक्टर में भी भारत तेज बढ़ती ताकत के रूप में विकसित हो रहा है। वर्तमान दौर की बात की जाए तो हमारे पास करने को बहुत कुछ है, लेकिन हमारी प्राथमिकता ग्रामीण क्षेत्र हैं। जो आज भी आईटी के प्रभाव से अछूते हैं।
यह कहना है धीरुभाई अंबानी इंस्टीट्यूट गांधीनगर के निदेशक और आईआईटी मुंबई के पूर्व निदेशक प्रो. एससी सहस्त्रबुद्धे का। अवसर था, जर्नादनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ के डिपार्टमेंट ऑफ कंप्यूटर साइंस एंड आईटी की ओर से शनिवार से शिक्षा क्षेत्र में कंप्यूटर टेक्नोलॉजी के नवीनतम आयाम पर अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का। प्रो. सहस्त्रबुद्धे ने बताया कि आईटी और हर रोज विकसित होती तकनीकों से आम आदमी प्रभावित है। इन तकनीकों का विकास और खाका भी गुण दोषों की विवेचना के बाद ही होता है, जो भारतीय इंजीनियरिंग की एक प्रमुख बात है। जिसका उदाहरण है कि आज हम एक मोबाइल के माध्यम बहुत कुछ करने में सक्षम हो सके हैं। सेमिनार के उद्घाटन पर यूनिवर्सिटी ऑफ कैलीफोर्निया के जॉर्ज एम ज्योग्राऊ, यूनिवर्सिटी ऑफ केनबेरा के प्रो. मुर्रे वुड्स, नॉर्थ गुजरात यूनिवर्सिटी पाटन के प्रो. अशोक पटेल तथा आईआईआईटीएम ग्वारलियर के प्रो. ओम विकास, विद्यापीठ की कुलपति प्रो. दिव्यप्रभा नागर तथा कुल प्रमुख प्रफुल्ल नागर थे। इससे पूर्व सभी अतिथियों का स्वागत किया गया एवं विवि गीत के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ।
इंटरनेट युग की शुरुआत है बड़ी देन : प्रो. सहस्त्रबुद्धे ने बताया कि आईटी सेक्टर की सबसे बड़ी देन इंटरनेट युग की शुरुआत को कहा जा सकता है। 1970 से 80 के मध्य मेरे पास पीसी था। जिसे देखने के लिए कई लोग आते थे, लेकिन उसके अगले पांच साल बाद पीसी का बाजार में उपलब्ध होने से आम आदमी का जीवन परिवर्तित हो गया। उसके बाद इंटरनेट युग। आज फेसबुक और ट्यूटर से अधिकारी और वाहन चालक में कोई परिवर्तन नहीं रहा है। जितना सक्षम और जानकार अधिकारी है, उतना ही चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भी। यह सब आईटी के नवीनतम आयामों का ही प्रभाव है।
तकनीक के गुण दोषों की विवेचना जरुरी : प्रो. सहस्त्रबुद्धे ने बताया कि तकनीक का विकास करना आज इतना कठिन नहीं है, लेकिन उसके गुण दोषों की विवेचना करने के बाद उसे आम जन के लिए तैयार करने में समय लगता है। यही कारण है कि हमारे पास आईटी और कंप्यूटर इंजीनियरिंग में करने के लिए तो बहुत कुछ है, लेकिन हमारे पास रिर्सोस की कमी है। देश की विभिन्न इंजीनियरिंग संस्थाएं हर रोज नई तकनीकों को खोज रही है, लेकिन उसमें गुण दोषों की विवेचना करना प्राथमिकता रखा गया है। तकनीकी के जितने फायदे हैं, उतने ही नुकसान भी। इस कारण ऐसी तकनीकों का विकास किया जाना चाहिए, जिसके गुणों की संख्या अधिक हो।
मेन पावर की कमी चिंताजनक : अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में कुलपति प्रो. दिव्यप्रभा नागर ने बताया कि आईटी सेक्टर में मेन पावर की कमी काफी चिंताजनक है। हालांकि शिक्षा क्षेत्र में इसकी उपयोगिता को नहीं नकारा जा सकता है, लेकिन राष्ट्र स्तर पर बात की जाए तो इसमें मेन पावर की कमी होना सही नहीं है।
पहले दिन 200 पत्रवाचन : आयोजन सचिव प्रो. एसएस सारंगदेवोत ने बताया कि पहले दिन अलग अलग श्रेणियों में 200 पत्रवाचन किए गए। जो शिक्षा क्षेत्र में आईटी के नए आयामों पर आधारित थे। प्रो. सारंगदेवोत ने बताया कि रविवार को भी समानांतर कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा। गौरतलब है कि इस अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में 1300 से अधिक शोध पत्र आए थे। जिनमें से चयनित 1 हजार पत्रों को प्रस्तुत किया जाएगा।