मेवाड़ क्षेत्र की जीवंत विरासत दशा एवं दिशा पर कार्यशाला
उदयपुर। इण्डियन नेशनल ट्रस्ट फोरम एण्ड कल्चरल हेरिटेज (इन्टेक) उदयपुर एवं इतिहास विभाग, सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय के तत्वावधान में मेवाड़ क्षेत्र की जीवंत विरासत-दशा एवं दिशा पर सोमवार को विश्वविद्यालय के आर्ट्स कॉलेज के सभागार में कार्यशाला हुई। मुख्य अतिथि कुलपति आई.वी. त्रिवेदी, विशिष्ट अतिथि बिन्दू मनचन्दा थे। अध्यक्षता डॉ. महेन्द्र भानावत ने की।
चार सत्रों में चली इस कार्यशाला में मेवाड़ की जीवन्त विरासत दशा एवं दिशा को लेक गहन वैचारिक मन्थन हुआ। इसमें उदयपुर, आकोला, मौलेला तथा बांसवाड़ा के करीब 15 शिल्पकारों और कलाकारों ने भाग लिया। कार्यशाला में शिलपकारों और कलाकारों की समस्याएं और उनके समाधान के उपायों के बारे में गहन चिन्तन हुआ।
इन्टेक उदयपुर के सह समन्वयक सुशील कुमार ने बताया कि कार्यशाला में शिल्पकारों की कला और उसके संरक्षण के लिए गांव गोद लेकर उसे विरासत ग्राम के रूप में विकसित करने की बात कही गई। ऐसा विरासत ग्राम जहां कलाकार, शिल्पकार कला का प्रदर्शन कर सके। वहां एक ऐसा मंच उपलब्ध हो जहां विभिन्न शिल्पकलाओं में निपूण अलग-अलग क्षेत्रों के कलाकार अपनी कलाओं का आदान- प्रदान कर सके और अपनी कला को दुनिया के सामने रख सके। यही नहीं विरासत ग्राम में शिल्पकारों- कलाकारों के ठहरने और खाने की व्यवस्था भी हो।
कार्यशाला में विरासत ग्राम के लिए दो गांवों के नाम आये जिनमें एक मोलेला (राजसमंद) और दूसरा आकोला (चित्तौड़) शामिल हैं। इनमें से किसी भी एक गांव को गोद लेकर उसे विरासत ग्राम के रूप में विकसित करने पर विचार हुआ। गांव के चयन से पूर्व वहां पर आने वाली समस्याओं जिनमें पार्किंग सुनिश्चित करना, पानी, बिजली की पूरी व्यवस्था करना, बाहर से आने वाले टूरिस्ट जो के बसों में आते हैं उन बसों के खड़े रहने की व्यवस्था, उनमें कोई बुजुर्ग हैं तो उन्हें लाने जाने की व्यवस्था क्या रहेगी इन सभी पर गहन चिन्तन मनन किया गया। इस अवसर पर उदयपुर चेप्टर के एस. के. वर्मा, मुनीष गोयल सहित अनेक सदस्य उपस्थित थे।