भागवत कथा के दूसरे दिन राधाकृष्ण महाराज ने कहा
उदयपुर। जीवन में अनेक बार भय के कारण भीतर भक्ति प्रकट होती है। इस बारें में संतो ने ठीक ही कहा है कि दुख में सुमिरन सब करें, सुख में करे न कोय, जो सुख में सुमिरन सब करें तो दुख काहे का होय। जीवन में प्रतिकूलताएं आने पर ही मनुष्य के लिये भक्ति का मार्ग खुलता है और वह भजन-कीर्तन की ओर अग्रसर होता है। के. जी. गट्टानी फाउण्डेशन की ओर से ओरियंटल पैलेस में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन कथावाचक गोवत्स राधाकृष्ण महाराज ने कहा कि कथा कृष्ण से मिलन की याद दिलाकर मिलने की व्याकुलता बढ़ती है।
महाराज ने उदासी और शान्ति की व्याख्या करते हुए कहा कि उदासी में मनुष्य भले ही शांत दिखता हो लेकिन उसके भीतर उथल-पुथल चलती रहती है जबकि शान्ति में व्यक्ति बाहर से तो शांत दिखायी देता ही है लेकिन वह इसके साथ-साथ भीतर से भी शान्त और सौम्य होता है।
उन्होनें वैशाख को गौ माता का माह बताते हुए कहा कि जिस घर में होती है, उस घर में सुखदेवजी महाराज का आगमन अवश्य होता है, लेकिन उनका ठहराव गाय दुहने तक का ही होता है। उन्होंने कहा कि गाय का दूध व्यक्ति की उर्जा को बढ़ाता है जब एकादशी के उपवास में गाय का दूध पीने से भक्ति की उर्जा दुगुनी हो जाती है। गाय घर में बोझ नहीं होती वरन् वह घर में बोझ हलका कर देती है।
कथा संयोजक श्रद्धा गट्टानी ने बताया कि कथा के दूसरे दिन व्यासपीठ का पूजन व महाराज का स्वागत के.जी.गट्टानी परिवार द्वारा किया गया। विशिष्ठ अतिथियों पूर्व सभापति युधिष्ठिर कुमावत, सुरेश न्याती, रजनी लोढ़ा, प्रतापचन्द मालू, सतीश, राधेश्याम तोषनीवाल, जगन्नाथ शर्मा, आदि उपस्थित थे। दूसरे दिन पाण्डाल श्रद्धालुओं से खचाखच भरा हुआ था। श्रद्धालु कथा के प्रारम्भ में भजन-कीर्तन पर खूब झूमे।
भजन-कीर्तन ने नींद से जगाया- राधाकृष्ण महाराज द्वारा आज प्रात: साढ़े पांच बजे निकली गयी प्रभात फेरी में कीर्तन के साथ गाये गये भजन गोविन्द बोलो हरी गोपाल बोलो ने नींद में सोये हुए क्षेत्रवासियों को नींद से जगाकर प्रभात फेरी में सम्मिलित होने पर मजबूर कर दिया। प्रभात फेरी में करीब 200 लोगों ने महाराज के साथ भाग लिया।