पेसिफिक में जनजाति विकास पर अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला
उदयपुर। पाहेर ग्रुप के प्रो. प्रेसिडेन्ट डॉ. भगवती प्रसाद शर्मा ने कहा कि भारत के आदिवासियों की स्थिति को चिंताजनक है। भारतीय जनजातियां आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है और उन्हें मुख्यधारा से जोडऩे के लिए सरकारी प्रयासों के साथ ही प्रत्येक व्यक्ति को भागीदार बनना होगा। शिक्षा, स्वास्थ्य व रोजगार के क्षेत्र में कई प्रयास करने होंगे।
वे पेसिफिक इंस्टिट्यूट ऑफ ट्राइबल डवलपमेन्ट द्वारा आयोजित ’जनजाति विकास‘ विषयक दो दिवसीय अंतराष्ट्रीय सेमिनार के समापन समारोह की अध्य क्षता कर रहे थे। उन्हों ने आदिवासियों के ज्ञान की सराहना करते हुए उन्होंने बताया कि अनेक वन औषधियों का उपयोग कर अपने स्वास्थ्य व अन्य संग्रह पर उपयोग करते हैं जो कि आज के आधुनिक विज्ञान के युग में भी अत्यन्त उपयोगी हैं। समापन समारोह से पूर्व दो तकनीकी सत्रों में 50 पत्रों का वाचन किया किया गया। अंतिम तकनीकी सत्रों के मुख्य वक्ता डॉ. पी.के. वैद व डॉ. अजय कुमार चौधरी थे।
पाहेर के रजिस्ट्रार शरद कोठारी ने बताया कि सेमिनार में देश-विदेश से आए अतिथियों ने जनजातियों से सम्बन्धित विभिन्न विषयों पर मंथन किया। इनके उपयोगी सुझावों से भारत सरकार के जनजाति विकास को नई दिशा मिलेगी।
सर्वश्रेष्ठ पत्रवाचन व पुरस्कार गोवा के डॉ. नन्दकुमार सावंत व प्रीति गोस्वामी को दिया गया व नौ सांत्वना पुरस्कार भी वितरित किए गए। कर्नल प्रदीप भटनागर ने धन्यवाद दिया।
अंतराष्ट्रीय सेमिनार में करीब 200 शोध-पत्र प्राप्त हुए और 104 प्रतिभागियों ने शोध-पत्र प्रस्तुत किए।
सेमिनार के निष्कर्ष
जनजाति समाज में महिलाओं पर हो रहे अत्याचार व शोषण पर विशेष ध्यान देने की आवश्य कता है। उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो व स्वावलम्बी बने, इसके लिए प्रयास होने चाहिए। ग्रामीण विकास के लिए अल्प वित्तीय सहायता प्रदान कर उनका जीवन स्तर सुधारा जा सकता है। सामाजिक व सांस्कृतिक मुद्दों पर विशेष ध्यान देना चाहिए। साक्षरता एवं शिक्षा के स्तर में सुधार लाने के लिए विशेष प्रयास किये जाने चाहिए। जनजातीय क्षेत्रों के उत्थान के लिए पर्यटन विकास द्वारा रोजगार के नए अवसर पैदा करने होंगे। एडवेन्चर पर्यटन का विकास करना होगा।