जलगांव में उदयपुर के इतिहासकारों का व्याख्यान
उदयपुर। बम्बोरा के इतिहासकार मोहनसिंह तथा भूपाल नोबल्स के वरिष्ठक व्याख्याता डॉ. कमलसिंह बेमला ने जलगांव में क्षत्रिय शोध फाउण्डेशन के तत्वावधान में आयोजित व्याख्यानमाला में राजस्थान का प्रतिनिधित्व किया। मोहनसिंह ने ’खानवा के युद्ध में क्या खोया क्या पाया’ विषयक शोधपरक विचार व्यक्त किये।
उन्होंने बताया कि खानवा युद्ध संघर्ष का प्रतीक साबित हुआ। इससे प्रेरणा लेकर महाराणा प्रताप, वीर शिवाजी, गुरु गोविन्द सिंह, वीर दुर्गादास राठौड़ और छत्रसाल ने संघर्ष किया। खानवा युद्ध में एक तरफ संघर्ष सिखाया दूसरी तरफ वसुधैव कुटुम्बकम् की संकल्पना को फिर से प्रस्फुटित कर दिया। इस युद्ध के बाद कई परिवार दक्षिण में विस्थापित हुए।
डॉ. कमलसिंह बेमला ने’वीर दुर्गादास व उनका दक्षिण भारत अभियान‘ में वीर दुर्गादास के मुगल बादशाह औरंगजेब के साथ 30 सालों तक सतत् संघर्ष के बाद अंतत: जोधपुर अजित सिंह को दिलाने में सफल होना तथा औरंगजेब के पुत्र अकबर द्वितीय को अपने साथ मिलाकर दक्षिण भारत में सम्भाजी से मिलाने पर प्रकाश डाला और वाहवाही लूटी। सुरेन्द्र सिंह पंवार जबलपुर ने ’बुन्देलखण्ड के वीरों का दक्षिण में योगदान’ विषयक व्याख्यान प्रस्तुत किया।
क्षत्रिय शोध फाउण्डेशन के अध्यक्ष डॉं. नरसिंह परदेसी बघेल की पुस्तक ’खानदेशातील राजपूतांचा इतिहास’ का भी विमोचन भारतीय पत्रकारिता संघ के अध्यक्ष सूर्यभान सिंह राजपूत ने किया। समारोह में भारत के राष्ट्रतपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल के छोटे भाई और पूर्व विधायक महेन्द्रसिंह पाटिल भी उपस्थित थे। अध्यक्षता प्रताप शाहिर विद्याधर पानट ने की और कहा कि राजस्थान व महाराष्ट्रल की धरती के बीच एक सांस्कृतिक सेतु बनना चाहिए और इसी तरह व्याख्यानों और अन्य माध्यमों से सामन्जस्य स्थापित होना चाहिए।