जगन्नाथ रथयात्रा में दिखा उत्साह
उदयपुर। अगर ईश्वर के प्रति सच्ची श्रद्धा दिखानी हो तो फिर किसी से कोई शर्म कैसी या लिहाज किस बात का? यह दिखा भगवान जगन्नाथ स्वामी के नगर भ्रमण के दौरान उल्लासित श्रद्धालुओं में जो अपनी ही धुन में मग्न होकर नाच रहे थे। कोई नाच रहा था तो कोई पारम्पारिक वेशभूषा में नृत्य कर रहा था।
यह स्थान ऐसा था जहां कोई गरीब-अमीर नहीं था। चाहे वह महिला हो या पुरुष, किसी को ये चिंता नहीं थी कि कोई देख रहा है। वे तो बस अपनी मस्ती में नृत्य, कर रहे थे जबकि सड़क के दोनों ओर जनता उन्हें देखने उमड़ पड़ी। हर कोई भगवान के नगर भ्रमण पर अपनी खुशी अपनी तरह जता रहा था।
हाथी घोड़ा पालकी, जय कन्हैयालाल की, दीवाना राधे का, मुरली वाला श्या म गुजरिया नच ले रे.. से शहर गूंज रहा था। जगह-जगह विभिन्न व्यांपार मंडलों, क्षेत्रवासियों द्वारा लगाए गए डीजे पर धार्मिक भजन बज रहे थे। शहर का नजारा गुरुवार सुबह से ही कुछ अलग सा था। हर गली-मोहल्ले में रथयात्रा के स्वाागत के लिए कुछ न कुछ तैयारियां की जा रही थीं। रास्ते भर रथयात्रियों को कोई मिल्क रोज पिला रहा था तो कोई ठंडे जल की मनुहार कर रहा था। कोई आमरस का ग्लास देना चाह रहा था तो कोई गर्मागर्म आलू बडे़ खिलाना चाह रहा था।
रथयात्रा में सबसे आगे विभिन्न समाजों की झांकियां चल रही थीं। फिर हाथी के बाद ऊंटगाडि़यों पर बुजुर्ग महिला-पुरुष सवार थे तो बच्चे भी पीछे नहीं रहे। आबाल वृद्ध का उत्साह देखते ही बन रहा था। हरे रामा हरे कृष्णा, शिवदल मेवाड़, महादेव सेना के कार्यकर्ता शामिल हुए। कार्यकर्ता पारम्परिक सफेद वेशभूषा के साथ केसरिया साफे बांधे चल रहे थे। रजत रथ को खींचने की हर किसी की चाह थी। होड़ाहोड़ी में कई महिलाएं व बच्चे रथ को हाथ लगाने से चूके तो किसी ने सिर्फ दूर से दर्शन करके ही अपने मन को संतुष्टि दी।
इससे पहले सुबह जब सेक्टर 7 स्थित जगन्नाथ धाम से स्वर्ण रथ में भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा एवं बलभद्रजी को विराजित कर जुलूस निकला तो हर किसी के मुंह से जगन्नाथ स्वामी की जय का नारा गूंज उठा। हर व्यक्ति रथ को हाथ लगाकर मानों साक्षात भगवान जगन्नाथ को छू लेना चाहता था।