उदयपुर। ‘उसने दी बद्दुआयें सभी को मगर, दी मुझी को दुआ सोचते सोचते’ रात में घर जला कर पडौसी मेरा, मुस्कराता रहा सोचते सोचते’ से प्रसिद्ध शायर महेशर अफगानी ने डॉ. मोहनसिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा आयोजित मुशायरे का आगाज किया।
शायर मेहसर अफगानी ने वाह वाह की आवाजों के बीच नज्म’’ मैं दहशत से कुछ बोल नहीं पाया, वो मेरी खामोशी को तस्कीन समझ बैठे पेश कर भरपूर दाद बटोरी। सदारत करते हुये नामचीन शायर प्रेम भंडारी ने ‘‘मेरी पगड़ी तू क्या उछालेगा, कर लूंगा मैं अपना सर पहले’’ सुना कर भरपूर तालियां बटोरी। डॉ. भण्डारी ने महाराणा प्रताप पर लिखी अपनी नज्म ‘‘याद आयेगा छोड़ के जाने वाला, बात खुद्दारी की दुनिया को सिखाने वाला’’ सुनाकर हाल को गुंजायमान कर दिया। हाजरीन की फरमाईश पर डॉ. भण्डारी ने ‘‘आईये बैठिये आमने सामने’’ सुनाकर भरपुर दाद बटोरी।
शायरा शकुन्तला सरूपरिया ने तरन्नुम में ‘‘झूठ बोले फिर भी देखो, सबने दी इज्जत उन्हें, बोला सच तो झिडकियां कितनी आने लगी सुनाकर खूब वाहवाही बटोरी। शायर इकबाल हुसैन ईकबाल ने ‘‘शोहरते उससे बढक क्या होगी, जिक्र हो उसी का और वो यहा नहीं पेश कर श्रोताओं को आह भरने को मजबूर कर दिया। इकबाल ने तरन्नुम में ‘‘दिखा तो रहे हो हमें आसमाँ तुम, जरा तुम हमारे कटे पर तो देखो’’ सूना कर खूब दाद पायी।
शायर डॉ. ईशहाक ने ‘‘वक्त के धारे में जो बहता नही, साथ उसका वक्त भी देता नहीं’’ सुना कर बहुत दाद पायी। डॉ. राजगोपाल की नज्म ‘‘छूकर मन एक लम्हा गुजरा’’ को श्रोताओं ने बहुत पसन्द किया। शायर फारूक बिकानेरी ने उदयपुर शहर पर बनायी अपनी नज्म ‘‘नगरी ये झीलों ने उदयपुर शहर पर बनायी अपनी नज्म ‘‘नगरी ये झीलों की उदयपुर है, हर जगह यहां कूदरती नूर है, पेश कर भरपूर शाबाशी बटोरी।
मुशायरे का संचालन करते हुये मशहूर शायर मुश्ताक चंचल ने ‘कौन चक्कर में पड़े, हमें क्या? आज देश के जो हालात है ये हमें क्या का ही कमाल है ?’ सुनाकर श्रोताओं को आल्हादित कर दिया। मुशायरे के प्रारंभ में ट्रस्ट सचिव नन्दकिशोर शर्मा ने शायरों व अतिथियों का स्वागत किया। धन्यवाद नितेशसिंह ने ज्ञापित किया।