उदयपुर। कांग्रेस के नेता रहे प्रणब मुखर्जी अब देश के तेरहवें राष्ट्रपति के रूप में चुन लिए गए। उदयपुर के लोगों को भी ‘दादा’ को सुनने का मौका मिला था कुछ दिनों पूर्व जब वे यहां सुखाडि़या विश्वविद्यालय में एक सेमिनार में आए थे।
राष्ट्रपति भवन जाते हुए उनका एक कैरीकेचर बीएनपीजी के एसोसिएट प्रोफेसर कमलसिंह राठौड़ ने उन्हें भेंट किया जिस पर दादा ने हस्ताक्षर कर उन्हें आशीर्वाद दिया।
देश के आलीशान भवन रायसीना हिल्स में रहने का गौरव प्रथम नागरिक को मिलता है उसकी भव्यता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चार मंजिला इस भवन में 340 कमरे हैं और सभी कमरों का उपयोग किया जा रहा है। इस इमारत के मुख्य शिल्पकार एडविन लैंडसोर लुटियंस थे। भवन का निर्माण तब मात्र डेढ़ करोड़ रुपए से कम लागत में 17 वर्षों में पूरा किया गया। लगभग दो लाख वर्गफुट में बना राष्ट्रपति भवन आजादी से पहले तक ब्रिटिश वायसराय का सरकारी आवास था।
एक जानकारी के अनुसार राष्ट्रपति भवन की देखरेख के कार्य के लिए फिलहाल तीन सौ से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं। राष्ट्रपति सचिवालय में कर्मचारियों एवं अधिकारियों की संख्या करीब ढाई सौ से ऊपर है। राष्ट्रपति भवन के स्तंभों पर उकेरी गई घंटियां, जैन और बौद्ध मंदिरों की घंटियों की प्रतिकृति है। भवन के स्तंभ निर्माण की प्रेरणा कर्नाटक में मूडाबिर्दी स्थित जैन मंदिर। राष्ट्रपति भवन में बने चक्र, छज्जे, छतरियां और जालियां भारतीय पुरातत्व पद्धति की याद दिलाते हैं।
राष्ट्रपति भवन के प्रमुख इंजीनियर हक कीलिंग थे जबकि इस भवन का अधिकतर निर्माण कार्य ठेकेदार हसल अल राशिद ने कराया था। 26 जनवरी 1950 को प्रथम राष्ट्रपति के रूप में यह भवन डॉ. राजेन्द्र पसाद का आवास बना, तभी से यह देश के राष्ट्रपति का सरकारी आवास बना हुआ है। भवन के खास आकर्षण का केन्द्रा बनने वाले मुगल गार्डन में 250 से अधिक गुलाब की प्रजातियां हैं। मुगल गार्डन के साथ राष्ट्रपति भवन के बगीचे की देखरेख के लिए सवा दो सौ से अधिक माली लगे हैं। यहां काफी संख्या में पशु-पक्षी भी हैं।