उदयपुर। मनुष्य को शंका रूपी विष को छोड़ कर श्रद्धा रूपी अमृत का पान करना चाहिये। जो श्रद्धावान, विवेकवान हो वही श्रावक है। शंका रूपी विष का त्याग कर जो देव- गुरू के समक्ष जाता है वही भक्त है, वही श्रोता है। साधु- साधना से व गृहस्थी उपासना से ही सुशोभित होता है।
ये विचार आदिनाथ भवन सेक्टर 11 में आचार्य सुकुमालनदी महाराज ने प्रात:काल आयोजित चातुर्मासिक धर्मसभा में व्यक्त किये। आचार्यश्री ने कहा कि गृहस्थ गृहस्थी में रह कर साधु बनने की भावना करता है और साधु अपनी साधुता में रह कर भगवान बनने की भावना रखता है। श्रद्धा-भक्ति के साथ-साथ ज्ञान-विवेक व आचरण भी चाहिये, तो ही उसमें मोक्ष रूपी फल लगते हैं।
धर्मसभा में दीप प्रज्वलन किशनगढ़ से आये पं. मूलचन्द लुहाडिय़ा ने किया। अर्थ समर्पण दुर्ग से आये पवन कुमार बडज़ात्या ने किया। मंगलवार को भी बाहर से सैंकडों की संख्या में श्रद्धालुओं ने धर्मसभा में लाभ प्राप्त किया।
कृत्रिम सम्मेद शिखर पर बुधवार को चढ़ेगा 23 किलो का लड्डू
महावीर नगर में विशाल सम्मेद शिखर पर्वत का निर्माण किया जा रहा है। जिसमें 24 टोंकों का निर्माण पूरा हो चुका है। पाश्र्वनाथ युवा मंच की ओर से उसे भव्य रूप से सजाया गया है। इसमें जल मन्दिर की रचना भी की गई है। पाश्र्वनाथ मोक्ष कल्याणक के अवसर पर पर्वत का लोकार्पण किया जाएगा। इस अवसर पर कृत्रिम सम्मेद शिखर पर 23 किलो का लड्डू चढ़ाया जाएगा।