udaipur. इस संसार में प्रत्येक जीव के कई मित्र होते हैं। यह अलग बात है कि कोई मित्र सच्चे तो कोई धोखेबाज भी होते हैं। मित्र बनाने की शुरूआत विश्वास से होती है, लेकिन प्राय: सबको असफलता ही मिलती है। सच्चा मित्र वही है, जो मुसीबत में काम आए। सारा संसार मुंह मोड़ ले, लेकिन सच्चा मित्र कभी मुंह नहीं मोड़ता और कभी भी धोखा नहीं देता।
ये विचार सेक्टर 11 स्थित आदिनाथ भवन में रविवार को आयोजित चातुर्मासिक प्रवचन में आचार्य सुकुमालनन्दी महाराज ने प्रात:कालीन धर्मसभा में व्यक्त किये। आचार्यश्री ने कहा कि देव शास्त्र गुरू ऐसे मित्र हैं जिन्हें कोई स्वार्थ नहीं होता। आत्मा को देव शास्त्र गुरू व धर्म की शरण में ही लगाना चाहिये और इन्हें ही मित्र बनाना चाहिये। तभी सम्पूर्ण जीवन सुखमयी बन सकता है।
भावुक हुए श्रोता: आचार्यश्री ने सच्चे मित्र पर इतना मार्मिक और हृदयस्पर्शी प्रवचन दिया कि खचाखच भरे पाण्डाल में उपस्थित श्रावक तन्मयता से सुनते हुए भावुक और भावविभोर हो गये। कई श्रावकों की आंखें भी नम हो गई। धर्मसभा के प्रारम्भ में अजमेर, केकड़ी, परतापुर व गुवाहाटी से आये मेहमानों ने किया अघ्र्य समर्पण व पाद प्रक्षालन किया। इस अवसर पर बांसवाड़ा, डूंगरपुर, सलूम्बर, ऋषभदेव, परमापुर, केकड़ी, जूनियां, अजमेर, इन्दौर, भीलवाड़ा, उदयपुर शहर से अनेकानेक श्रावकगण मौजूद थे।
चातुर्मास समिति के महामंत्री प्रमोद चौधरी ने बताया कि दोपहर को स्वाध्याय, शाम को अंग्रेजी कक्षा व रात्रि को भव्य आरती के साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रम सम्पन्न हुए।