udaipur. अर्थी उठने से पहले जीवन के अर्थ को समझ लेना चाहिये। मृत्यु की कोई तारीख निश्चित नहीं होती। जीवन एक बरसात की तरह है, जिसकी बूंदें अलग- अलग संगति को प्राप्त कर अलग-अलग पर्याय को प्राप्त होती है।
ये विचार सेक्टर 11 स्थित आदिनाथ भवन में चातुर्मास के अवसर पर आयोजित प्रात:कालीन धर्मसभा में आचार्य सुकुमालनन्दी महाराज ने व्यक्त किये। आचार्यश्री ने कहा कि जीवन एक घड़ी की तरह है, जिसमें बचपन, जवानी ओर बुढ़ापा तीनों ही अवस्थाएं मिलती है। बुढ़ापा आने से पहले जो आत्म कल्याण कर लेता है वह श्रेष्ठ कहलाता है और जो बुढ़ापे में भी आत्मकल्याण नहीं कर पाता वह अधम व्यक्ति कहलाता है।
आचार्य ने कहा कि चिता जलने से पहले ही चित्त में चरित्र अंगीकार कर लेना है क्योंकि बुढ़ापे में चित्त में चरित्र की तो चाह रहती है लेकिन शरीर में ताकत नहीं रहती और आत्म बल कमजोर हो जाता है।
ट्रस्ट के महामंत्री प्रमोद चौधरी ने बताया कि स्वाधीनता दिवस पर महावीर नगर कांफ्रेंस हॉल में आचार्य के विशेष प्रवचन होंगे व रात्रि में पार्श्व्नाथ युवा मंच द्वारा कारगिल पर भव्य नाटिका एक शाम शहीदों के नाम का मंचन किया जाएगा।