udaipur. मुरारी बापू ने की रामकथा के दौरान प्रेम तथा भक्ति की व्याख्या, कहा-पंथ की कट्टरता से ईश्वर को छोटा मत करो। मानस प्रेम के सातवें दिन राष्ट्रसंत मुरारी बापू ने कहा कि ईश्वर का कोई आकार-अंग नहीं होता, अल्लाह की कोई जात नहीं होती। इश्क ही अल्लाह या प्रेम ही परमात्मा है।
बापू ने नाथद्वारा में चल रही नौ दिवसीय रामकथा में मानस प्रेम चर्चा के दौरान शुक्रवार को हजारों रामकथा श्रोताओं को मानस प्रेम सरिता में सबको भीगो दिया। कथा श्रवण करने वाले भक्त-श्रोताओं ने भी जैसे बापू के मुखारबिंद से बरस रहे ज्ञान मोतियों को सहेज प्रेम की मालाएं पिरोयी। श्रोताओं ने प्रेम और भक्ति के बीच सुक्ष्म व दृढ़ संबंध को समझा। बापू ने प्रेम को नेम (नियम) से बड़ा बताया। नारद भक्ति सूत्र से आचार्यों की महिमा का वर्णन किया।
रामकथा सुनने आए श्रोताओं से बापू ने कहा कि मन की सरलता जरूरी है। साधु मन कभी मान-अपमान में प्रतिक्रया नहीं करता। उनका स्वभाव पर्वत सा धीर है। ऐसे संत-महापुरूषों की सेवा करने से भी प्रेम प्रकट होता है, इसलिए गिरिराज, चित्रकूट, नीलगिरी, गिरनार, कैलाश आदि पावन पर्वतों की सेवा करने का बड़ा महत्व है।
नारद भक्ति सूत्र में आचार्यों के वर्णन को प्रतिपादित करते हुए मुरारी बापू ने कहा कि आचार्यों का वस्त्र, और आसन ही हरि स्मरण है। बापू ने कहा, कुमार आचार्य, शुकाचार्य, शाण्डिल्य, दर्गाचार्य कोटिल्य , शेषनारायण, उद्धव, आरूणी और स्वयं भगवान विष्णु भक्तिमार्ग के आचार्य हुए। हनुमान भी भक्ति के आचार्य है, जिनमें समस्त 11 प्रकार की आसक्ति निवास करती है। भरत में भी यही सब आसक्तियां लबालब भरी थीं। बापू ने कहा कि भक्ति का आचार्य विशाल होता है, संकीर्ण नहीं। भक्ति मार्ग में आसक्ति के पायदान होते हैं।
बापू ने सम्राट अकबर की अल्लाह के रंग-रूप की जिज्ञासा वाली घटना का उल्लेख करते हुए बताया कि सूफी संत दादू दयाल ने इस बात का उत्तर अकबर को इस तरह दिया-
इश्क अल्लाह की जात है, इश्क ही रंग।
इश्क अल्लाह की मौजूदगी, इश्क अल्लाह का अंग।
बापू ने बताया कि प्रेम के कारण किया गया श्रवण, कीर्तन, स्मरण, सेवा, वंदन भक्ति में बन जाता है। बापू ने पंथ की राह पकड़कर कट्टरता में जकडे़ रहने वालों से कहा कि राम, अल्लाह, बुद्ध विस्तृत हैं, पूर्ण हैं। उन्हें छोटा मत करो। बापू ने इन्हीं भावों से व्यासपीठ के लिए कहा कि व्यासपीठ विशाल है, इस सिंधू में सभी का प्रवाह है। उन्होंने कहा कि सद्गुरू की मुस्कुराहट से पाप, संताप और परिताप का नाश होता है।