udaipur. जो देश किसी समय साने की चिडिय़ा कहलाता था, जो कभी विश्व गुरू ओकर शांति का दूत कहलाता था उस भारत देश में आज जातिवाद, धर्मान्धता को लेकर विभिन्न प्रान्तों में जो झगड़े, मनमुटाव और इनकी वजह से जो पलायन हो रहे हैं ऐसे समय में सन्तों की भूमिका और भी महतवपूर्ण हो जाती है।
इतिहास गवाह है कि जब- जब भी देश में साम्प्रदायिक सौहाद्र बिगड़ा, दंगे फसाद हुए या समुदायों में मनमुटाव हुआ उस समय सन्तों की अगुवाई में ही देश में शांति की स्थापना हुई है। ये उद्गार आचार्य सुकुमालनन्दी महाराज ने सेक्टर 11 स्थित आदिनाथ भवन में आयोजित पत्रकारवार्ता में व्यक्त किये। उन्ळोंने कहा कि आवश्यकता आज इस बात की है कि सन्तगण भी उदारचित्तता अपना कर सभी जीवों को नैतिकता और मानवता का पाठ पाढ़ाएं। सभी जीवों को एक रहने की शिक्षा दें। सभी भारतीय हैं और सभी भाई-भाई हैं।
टाउन हॉल में डोम पाण्डाल
समता दिवस 28-29 अगस्त के आयोजन के लिए टाउन हॉल में डोम पाण्डाल की तेयारियां चल रही है। एक साथ 10000 लोग इस पाण्डाल में बैठाएंगे। समता दिवस के इस आयोजन में देश ही नहीं विदेश से भी श्रद्धालुओं के शरीक होने की सम्भावना है। दो दिन तक 28-29 अगस्त को आचार्य सुकुमालनन्दी जी समता का पाठ पढ़ाएंगे।