विश्व पर्यटन दिवस पर विशेष
udaipur. विश्व में झीलों की नगरी के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले उदयपुर को भारत के सर्वश्रेष्ठ अवकाश स्थल के रूप में चुना गया है। उदयपुर के सर्वश्रेष्ठ अवकाश स्थल का ‘कोन्डे नास्ट ट्रेवलर इण्डिया रीडर्स ट्रेवल अवार्ड‘ गत वर्ष 2 दिसम्बर को नई दिल्ली में आयोजित समारोह में केन्द्रीय पर्यटन मंत्री सुबोध कान्त सहाय ने राजस्थान की पर्यटन मंत्री बीना काक को प्रदान किया था।
उन्होंने कहा था कि राजस्थान गत कुछ वर्षों से न केवल पर्यटन स्थल के रूप में उभरा है वरन यहां सरकार द्वारा निरन्तर नये टूरिस्ट सर्किट, नये पर्यटन उत्पादों का विकास और बुनियादी ढांचों के उन्नयन के प्रयास किये जा रहे हैं।
राजसमन्द झील किनारे स्थित संगमरमर के पच्चीस शिलालेखों पर उत्कीर्ण ‘राजसिंह प्रशस्ति‘ विश्व की सबसे बडी़ प्रशस्ति मानी जाती है जो मेवाड़ का इतिहास जानने का प्रमुख स्त्रोत हैं। रानी पदमिनी और कर्मावती के जौहर विश्व के इतिहास के एकमात्र दृष्टान्त हैं। जयपुर में जयगढ़ किले पर स्थित जयबाण दो पहियों पर रखी विश्व की सबसे बडी़ तोप है।
मेवाड के शासक महाराणा कुम्भा, राणा सांगा, महाराणा प्रताप, अपनी वीरता, देशप्रेम और स्वाभिमान के लिए अपनी विशेष पहचान रखते हैं। राजस्थान के गोरा-बादल, पन्नाधाय, जयमल, पत्ता, दुर्गादास, भामाशाह, हाडी़ रानी के त्याग और बलिदान की मिसाल अन्यत्र नहीं मिलती।
उदयपुर जिले की जयसमन्द झील विश्व में सर्वाधिक बडी मानव निर्मित झीलों में से एक है और एशिया की कृत्रिम झीलों में दूसरा स्थान रखती है।
जैसलमेर के रेतीले धोरे, अजमेर के निकट पुष्कर राज स्थित ब्रह्माजी का मन्दिर, अजमेर स्थित जगविख्यात सूफी सन्त ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह, पाली के राणकपुर स्थित चौमुखा आदिनाथ जैन मन्दिर की ख्याति किसी से छिपी नहीं है।
सवाईमाधोपुर का रणथम्भौर बाघ अभ्यारण्य, गुलाबी नगरी जयपुर, यहां का हवामहल, जोधपुर का छीतर महल, चित्तौडगढ़ का किला, उदयपुर का लेक पैलेस, यहां की झीलें अंतरराष्ट्री य आकर्षण के केन्द्रा हैं।
भरतपुर का केवलादेव पक्षी अभ्यारण्य, जैसलमेर स्थित ‘आंकल वुड फोसिल्स पार्क‘, पुष्कर का विश्वस्तरीय मेला, जैसलमेर का मरू मेला, बीकानेर का ऊंट उत्सव सैलानियों में लोकप्रिय हैं। राजस्थान की शाही रेलगाडी़ ‘पैलेस ऑन व्हील्स‘ तथा भाप चलित ‘फेयरी क्वीन एक्सप्रेस‘ विदेशी सैलानियों की पसंद हैं।
जयपुर के हीरे-जवाहरात और बहुमूल्य नगीने पत्थर, सांगानेरी प्रिन्ट, बाड़मेर का अजरक प्रिन्ट, राजस्थान की जूतियां, मोजडि़यां व चमडे़ के बैग अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हैं। जयपुर में सोने पर मीनाकारी, बीकानेर की ऊंट की खाल पर मीनाकारी, प्रतापगढ़ की थेवाकला (कांच पर सोने की मीनाकारी), नाथद्वारा की पिछवाई पेंटिग, जयपुर की पाव रजाई और ब्लू पोटरी, जयपुर-जोधपुर के लाख के उत्पाद तथा शेखावाटी का बन्धेज भी प्रसिद्घ है। यही नहीं ऐसे कई तथ्य दर्शाते हैं कि राजस्थान यूं ही नहीं आते हैं विदेशी सैलानी।