बीसा हुमड़ भवन में होगा कार्यक्रम
udaipur. आचार्य शांतिसागर महाराज के वर्तमान पट्टाचार्य श्री अभिनंदन सागर महाराज के 47 वें पावन वर्षायोग के तहत आचार्यश्री के सान्निध्य में आश्विन सुदी सप्तमी पर रविवार 21 अक्टूबर को नगर परिषद प्रांगण स्थित टाउनहॉल में भव्य जैनेश्वरी दीक्षा समारोह होगा।
दीक्षा लेने वालों में ब्रह्मचारिणी चन्द्ररेखाजी सलूम्बर, क्षुल्लक दिव्यानंदसागर महाराज एवं ब्रह्मचारिणी कमलाबाई सेठी शामिल हैं। बीसा हुमड़ भवन में आज हुई पत्रकार वार्ता में आचार्य अभिनंदन सागरजी महाराज चातुर्मास समिति के प्रचार प्रसार मंत्री हेमंत गदिया ने बताया कि 17 अक्टूबर को सलूम्बर में ब्रह्मचारिणी चन्द्ररेखाजी की बिनौली निकाली जाएगी। फिर 18 अक्टूबर को उनकी सलूम्बर से विदाई होगी।
19 अक्टूबर को शाम 7.30 बजे मंडी की नाल स्थित श्री पाश्र्वनाथ दिगम्बर जैन बीस पंथ मंदिर से बिनौली निकाली जाएगी। 20 अक्टूबर को मुख्य आयोजन के तहत सुबह 7 बजे श्री हुमड़ भवन में गणधर वलय विधान होगा और शाम 7 बजे दीक्षार्थी बहनों की बिनौली निकालकर यहां गोद भराई की रस्म होगी।
अगले दिन 21 अक्टूबर को दोपहर 12 बजे बीसा हुमड़ भवन से ही शोभायात्रा निकाली जाएगी जो शहर के विभिन्न मार्गों से होते हुए नगर परिषद प्रांगण स्थित टाउनहॉल पहुंचेगी। इसमें गंजबासौदा (मध्यप्रदेश) के श्री दिगम्बर जैन सेवा दल की दिव्यघोष प्रस्तुति भी होगी। दीक्षा समारोह से पूर्व आचार्यश्री का केशलौंच कार्यक्रम भी होगा।
आयोजन के लिए परिवहन, भोजन व्यवस्था, विधान एवं पूजन, चौका व्यवस्था, प्रचार प्रसार, पांडाल एवं मंच व्यवस्था, प्रशासनिक, आवास तथा वित्त व्यवस्था के लिए विभिन्न कमेटियां गठित की गई हैं। आयोजन में सकल दिगम्बर जैन समाज का सहयोग रहेगा।
स्वार्थों में जीने वाला भक्ति नहीं कर सकता : आचार्य अभिनंदनसागर
आचार्य अभिनंदन सागर ने कहा कि परमात्मा की भक्ति करने वाला निस्वार्थ सरलता से करनी चाहिए। स्वार्थ रहित जीवन विकास की दिशा में पहला कदम है। वे यहां बीसा हुमड़ भवन में नियमित चातुर्मासिक प्रवचन में श्रावक-श्राविकाओं को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हम स्वार्थों से मुक्त होने की कोशिश करें। स्वार्थी मनुष्य अपने स्वार्थ पूर्ति के लिए छल कपट का सहारा लेता है। मायाचारी और पाप परिणामों रहित कमाया गया धन ही पुण्य धर्म आदि के अच्छे कार्यों में लगाता है।
पूज्य गणिनी आर्यिका 105 श्री प्रज्ञामति माताजी ने कहा कि ज्ञानी अपनी प्रशंसा होने पर भी मान नहीं करता है। अज्ञानी व्यक्ति प्रशंसा मिलने पर अहंकार करने लगता है। मान, कषाय, नरक गति का कारण होता है। मान कषाय के कारण रावण नरक गति को प्राप्त हुआ।
सूचना एवं प्रसार मंत्री हेमंत गदिया ने बताया कि आचार्य अभिनंदन सागर ससंघ सान्निध्य में 3 अक्टूबर सोमवार को बीसा हुमड़ भवन तेलीवाड़ा में तपस्वी सम्मान समारोह होगा। शहर के सभी तपस्वियों का इस दिन सम्मान किया जाएगा। इसके तहत 32, 16, 10 व 5 उपवास करने वाले सभी तपस्वी सम्मानित होंगे।