आदिनाथ भवन सेक्टर 11 में मनाया वन्य जीव दिवस
udaipur. इस संसार में जीव और अीजव दोनों ही द्रव्य पाये जाते हैं। जिसमें आत्मा होती है हलन-चलन की शक्ति होती है, उसे जीव कहते हैं। समस्त प्राणियों में सबसे बुद्धिमान इंसान माना जाता है। लेकिन इंसान को अपने अहंकार में नहीं रह कर समस्त प्राणियों के प्रति करूणा भाव रखना चाहिये।
वन में रहने वाले जीव भले ही जंगली हों, मांसाहारी हों लेकिन जिन्दगी जीने का अधिकार तो सभी प्राणियों को होता है। उक्त उद्गार आचार्य सुकुमालनन्दी जी महाराज ने सेक्टर 11 स्थित आदिनाथ भवन में आयोजित चातुर्मासिक धर्मसभा में वन्यजीव सप्ताह दिवस के दौरान व्यक्त किये।
आचार्यश्री ने कहा कि वृक्ष कभी भी अपना फल नहीं खाते हैं, नदी कभी भी अपना पानी नहीं पीती है। उसी प्रकार सच्चा इंसान भी परोपकार में ही लगा रहता है। वन्य जीवों की सुरक्षा सभी का कर्तव्य है। वन में वनस्पति पेड़- पौधे सभी को जीने का अधिकार है। नीले- हरे भरे वृक्षों को भी नहीं काटना चाहिये। एक वन्य जीव की हत्या करना चार इंसानों की हत्या करने के बराबर है।
धर्मसभा से पूर्व आचार्य सुकुमालनन्दी चातुमा्रस समिति द्वारा सभी 293 तपस्वियों का शॉल-पगड़ी, दुपट्टा, मोमेण्टो आदि वस्तुएं देकर सम्मानित किया गया। वन्य जीव सप्ताह दिवस के अन्तर्गत धर्मसभा के बाद आचार्य सुकुमालनन्दी की प्रेरणा से दिनेश कुमार जैन उदयपुर द्वारा 15 फीट लम्बाचार्ट पर वन्य जीवों का चित्रण कर आचार्यश्री को भेंट किया।
आचार्यश्री की जन्मस्थली नावां सिटी से करीब चार बसें भरकर यात्री पहुंचे और उन्होंने अगला चातुर्मास नावां सिटी में करने के लिए निवेदन किया। दीप प्रज्वलन अहमदाबाद के प्रवीण भाई नरोड़ा ने किया।