तीर्थायन-2012 का दसवां दिन
पहाडिय़ों के दुर्गम रास्तों से बादलों को गुजरते समय हुई आनंद की अनुभूति
udaipur. झारखंड का हिमालय कहे जाने वाले सम्मेद शिखर जी के दर्शन कर लेकसिटी से गए 960 यात्री भाव-विभोर हो गए। प्रकृति के अनुपम सौंदर्य के बीच स्थित शिखरजी पर चढ़ते समय तीर्थ यात्री ऐसा अनुभव कर रहे थे मानो वे बादलों के संग चल रहे हो। हृदय में प्रेम और भक्ति की प्रगाढ़ भावना से तीर्थ यात्रियों ने दर्शन कर आनंद की अनुभूति की।
महावीर युवा मंच संस्थान के मुख्य संरक्षक राजकुमार फत्तावत ने बताया कि तडक़े चार बजे भोमियाजी के दर्शन कर तीर्थयात्रियों ने अपनी यात्रा प्रारम्भ की। उदयपुर से गए 960 तीर्थ यात्री सिर पर तीर्थायान-2012 की सफेद टोपी और बैज लगाकर 27 किमी ऊंची पहाड़ी की तंग सडक़ों पर चलते समय ऐसा महसूस कर रहे थे मानो बादलों के बीच चल रहे हों। तीर्थयात्री जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थंकरों ने मोक्ष की प्राप्ति की टोंक के दर्शन कर भाव-विभोर हो गए। 27 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित जैन धर्म के 23वें तीर्थकर भगवान पाश्र्वनाथ टोंक के दर्शन कर अभिभूत हो गए और पूरे वातावरण को पाश्र्वनाथ के जयकारों से गूंजायमान कर दिया। भगवान पाश्र्वनाथ के निर्वाण स्थली के दर्शन कर लेकसिटी से गए दर्शनार्थी अपने आपको गौरवान्वित महसूस कर रहे थे। सामूहिक रूप से प्रभु भक्ति की। इस पावन भूमि की खूबसूरती में भव्य व आकर्षक मंदिरों एवं ठहराव स्थलों चार चाँद लगा दिए हैं। तीर्थयात्रियों ने पारसनाथ पर्वत की सामूहिक वंदना की।
फत्तावत ने बताया कि पारसनाथ पर्वत की भौगोलिक बनावट कटरा व वैष्णो देवी की याद दिला देता है। कटरा की तरह ही यहाँ मधुबन बाजार स्थित है। जहां से तीर्थ यात्रियों ने वंदना कर चढ़ाई शुरू की। उदयपुर से गए यात्रियों के दल ने पवित्र पर्वत के शिखर तक कईयों ने पैदल तो कईयों ने डोली में यात्रा की। जंगलों व पहाड़ों के दुर्गम रास्तों से गुजरते हुए वे नौ किलोमीटर की यात्रा तय कर शिखर पर पहुँचे, यहाँ भगवान पाश्र्वनाथ व चंदा प्रभु के साथ सभी 24 तीर्थंकरों से जुड़े स्थलों में कली कुंड, गौतम प्रभु की टोंक, चंद्रप्रभु की टोंक, जल मंदिर और महावीर स्वामी की टोंक व अन्य स्थलों के दर्शन करते हुए नौ किलोमीटर की दूरी तय की। इन स्थलों के दर्शन के बाद वापस मधुबन आने के लिए यात्रियों की नौ किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ी। उन्हेंने बताया कि यात्रा मार्ग में कई भव्य व आकर्षक मंदिरों की श्रृंखलाओं के भी तीर्थयात्रियों ने दर्शन किए। मंदिर व धर्मशालाओं में की गई आकर्षक नक्काशी हरेक को अपनी ओर आकर्षित कर रही थी।
तीर्थायन 2012 के ग्यारहवें दिन प्रात: 9 बजे सम्मेद शिखर जी तीर्थ पर सम्मान, अभिनंदन एवं आभार समारोह होगा। उसके पश्चात सभी तीर्थ यात्री दोपहर का भोज लेंगे। दोपहर एक बजे शिखरजी से पार्श्वानाथ स्टेशन बस द्वारा प्रस्थान करेंगे और अपरान्ह तीन बजे यात्रा पूरी कर उदयपुर के लिए प्रस्थान कर जाएंगे।