भंवरों की तरह मंडराते रहे कार्यकर्ता व पदाधिकारी
रविवार को अपने शॉर्ट दौरे पर उदयपुर पहुंचे मुख्यमंत्रीजी मानों मुख्यजी न हुए मानों किसी फूल की कोई कली हो गए। यहां पहुंचते ही क्या भीड़ उमड़ी है उनके आगे पीछे कि बस.. जैसे भंवरे मंडराने लगते हैं, वैसे ही उनके इर्द गिर्द कथित कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों की फौज उमड़ पड़ी।
जैसे सांसद पुत्र की शादी में नहीं, चुनाव का टिकट ही फाइनल करने आए थे। आगे आगे खुद तो दौड़ेंगे लेकिन दूसरे को भी आगे नहीं आने देंगे.. शायद कुछ ऐसा ही प्रण लेकर आए थे, उन्हें देखकर कुछ ऐसा ही लग रहा था। उन्हीं में वे सब आए गए.. चिर-परिचित मुंडी निकालकर फोटो खिंचवाने वाले, चाहे आगे पीछे लल्लू-चप्पू करने वाले।
नाम छपवाने की आस में आगे पीछे दौड़ने को लेकर उदयपुर न्यू्ज में लिखे गए पहले वाले आर्टिकल पर इन्होंमने तो बाकायदा यह तक कहा था कि नाम की भूख किसे नहीं है? जो कुछ कर रहे हैं, नाम के लिए ही तो कर रहे हैं। इतना काम कर रहे हैं तो नाम तो चाहिए ही। अरे साहब, नाम पाने के नाम पर जो कुछ दूसरे कामकाज कर रहे हैं.. वे भी तो सोचिये.. क्या वे बिल्कुल जायज हैं। वहीं इनमें कुछ ऐसे वरिष्ठ कार्यकर्ता भी थे जो इन चंपुओं को देखकर स्व्त: ही पीछे हो गए। इन्हें मुख्यमंत्री ने देखते ही आगे बुलाया और उनसे मिले।
हालांकि मुख्यमंत्री सपरिवार आए थे यानी उनकी पत्नी श्रीमती सुनीता, उनके पुत्र वैभव, पुत्रवधू व पौत्री भी थे। भंवरों के हाल तो यह कि मुख्यजी तक दांव नहीं चला तो पुत्र और पौत्री को खेलाने में लग गए।
शादी में केन्द्रीय मंत्री डॉ. सी. पी. जोशी का हाथ पकड़कर मंच पर ले जाकर गहलोत के साथ फोटो खिंचाते भी देखा गया। मुख्यमंत्रीजी को मैनेजमेंट का माहिर राजनीतिज्ञ मानने वाले राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि दिखाने को भले ही दोनों यहां साथ रहे, यहां से रात्रि को साथ ही नाथद्वारा गए लेकिन मत चूके चौहान की परंपरा को निभाने में माहिर केन्द्रीय मंत्री ताक में रहते हैं… कि कब मौका मिले और वार करें। वैसे गहलोत का सूचना तंत्र भी इतना मजबूत है कि वे वापस उस वार की काट भी करने को तैयार ही रहेंगे।
शादी समारोह में ग्रामीण विकास, पंचायती राज एवं जनजाति क्षेत्रीय विकास मंत्री महेन्द्रजीत सिंह मालविया, उच्च शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. दयाराम परमार, राजस्थान सफाई कर्मचारी आयोग के अध्यक्ष आर.डी. जावा, राजस्थान अनुसूचित जाति आयोग के उपाध्यक्ष दिनेश तरवाड़ी, समाज सेवी नीलिमा सुखाडि़या, शांता प्रिंस सहित गणमान्य लोग शामिल हुए। शादी समारोह से करीब 10 बजे मुख्यमंत्री के निकल जाने के बाद पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों ने भी राहत की सांस ली।